काशी तमिल संगमम : काशी में मनी तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती की 144वीं जयंती

—महर्षि अगस्त्य वाहन अभियान समूह के डेलिगेट्स भी शामिल हुए

वाराणसी,11 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तमिल साहित्य और संस्कृति के प्रतीक महाकवि सुब्रमण्यम भारती की 144वीं जयंती गुरूवार को काशी तमिल संगमम में पूरे उत्साह के साथ विशेष रूप से मनाई गई।

संगमम के दसवें दिन महाकवि के जयंती का विशेष आयोजन सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल (सीआईसीटी) के स्टॉल पर किया गया।जिसमें संस्थान के कर्मचारियों के साथ-साथ महर्षि अगस्त्य वाहन दल में शामिल लगभग 50 सदस्यों ने पूरे उत्साह से भाग लिया। इस अवसर पर सीआईसीटी के पदाधिकारियों ने वाहन दल में शामिल सदस्यों को सम्मानित किया। इस कार्यक्रम को प्रभावशाली बनाने के लिए महाकवि भारती को समर्पित पोस्टर और रील्स तैयार कर सोशल मीडिया एवं सीआईसीटी की वेबसाइट पर साझा की गईं। उत्साह से भरे माहौल में सभी को मिठाइयाँ और चॉकलेट वितरित की गईं।

कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि महाकवि भारती के परिवार के सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर महान कवि, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक की शिक्षाओं, उनकी लेखनी और उनके अमूल्य योगदान को याद किया। कार्यक्रम में शामिल महर्षि अगस्त्य वाहन दल के सदस्य कार्तिक सरस्वात ने कहा कि हम पिछले 10 दिनों से यात्रा पर हैं और देश के विभिन्न जिलों में हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया। काशी में आज हमने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया और महाकवि सुब्रमण्यम भारती के इतिहास को बहुत करीब से जाना। तेनकासी से काशी तक की यह यात्रा अत्यंत प्रेरणादायक रही है। शिक्षा मंत्रालय की पहल तथा विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना हमारे देश की एकता को मजबूत करती है। यह कार्यक्रम चौथी बार आयोजित किया जा रहा है, और इस बार भाषाओं का आदान-प्रदान भी हो रहा है। हमने यहाँ कई स्टॉल देखे और अनेक लोग तमिल में बातचीत करते हुए मिले।

उल्लेखनीय है कि सुब्रमण्यम भारती एक प्रसिद्ध तमिल लेखक, कवि, पत्रकार, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और बहुभाषी प्रतिभा के धनी थे। उनका जन्म 11 दिसंबर 1882 को हुआ था। आधुनिक तमिल कविता के प्रवर्तक के रूप में उन्हें “महाकवि भारती” की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ है — महान कवि भारती। महाकवि भारती महिलाओं के सशक्तिकरण, बाल विवाह विरोध, धर्म-सुधार, अद्वितीय देशभक्ति और ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध स्वतंत्रता आंदोलन में उनके साहित्यिक योगदान के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। वाराणसी के हनुमान घाट पर उनका आवास स्थित है, जहाँ आज भी उनके परिवार के सदस्य रहते हैं। महाकवि सुब्रमण्यम भारती की 144वीं जयंती के उपलक्ष्य में शिक्षा मंत्रालय ने नई दिल्ली में भारतीय भाषा उत्सव भी आयोजित किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी