(वार्षिकी) मध्यप्रदेश में साहसिक और जल पर्यटन, रोमांच से रोजगार तक का सफर
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- Dec 31, 2025
मध्य प्रदेश, 31 दिसंबर (हि.स.)। साल 2025 मध्यप्रदेश के पर्यटन इतिहास में अहम मोड़ के रूप में दर्ज होता दिखाई देता है। कभी ऐतिहासिक धरोहरों, वन्यजीव अभयारण्यों और धार्मिक पर्यटन के लिए पहचाने जाने वाले इस राज्य ने बीते एक वर्ष में साहसिक और जल पर्यटन के क्षेत्र में ऐसी उड़ान भरी, जिसने राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अलग पहचान बनाई। राज्य सरकार की दूरदर्शी नीतियों, सुरक्षा-केंद्रित योजनाओं और सतत विकास के दृष्टिकोण ने यह साबित किया कि पर्यटन केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण का प्रभावी माध्यम भी हो सकता है।
बड़े आयोजन बने पहचान का आधार
साल 2025 में मध्यप्रदेश में आयोजित बड़े पर्यटन आयोजनों ने राज्य की ब्रांड वैल्यू को नई मजबूती दी। गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट, कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट, चंदेरी इको रिट्रीट और हनुवंतिया का बहुचर्चित जल महोत्सव ऐसे आयोजन रहे, जिन्होंने प्रकृति, विलासिता और साहसिक गतिविधियों को एक मंच पर लाकर पर्यटकों को नया अनुभव दिया। इन आयोजनों की खास बात यह रही कि इन्हें केवल पर्यटन उत्सव तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि स्थानीय युवाओं, स्वयं सहायता समूहों और छोटे व्यवसायों को भी इससे जोड़ा गया। इससे पर्यटन के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति मिली।
आसमान से सड़क तक: एडवेंचर का विस्तार
साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने साल 2025 में अपने दायरे को और व्यापक किया। लगातार चौथे वर्ष स्काई-डाइविंग के सफल आयोजन ने राज्य को एयर-बेस्ड एडवेंचर टूरिज्म के नक्शे पर मजबूती से स्थापित कर दिया। वहीं, इंदौर स्थित NATRAX (नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक) मोटर स्पोर्ट्स गतिविधियों का केंद्र बनकर उभरा। TSD कार रैली सहित कई राष्ट्रीय स्तर के आयोजन हुए। इंदौर और जबलपुर में आयोजित मोटर स्पोर्ट्स रैलियों ने युवाओं में रोमांच और प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ाया, साथ ही राज्य को मोटर स्पोर्ट्स हब के रूप में पहचान दिलाई।
बाइकिंग, मैराथन और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
साल 2025 की अहम उपलब्धि रही- साहसिक पर्यटन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी। “Riders in the Wild” और “Queens on the Wheel” जैसी बाइकिंग पहल अब केवल आयोजन नहीं रहीं, बल्कि स्थायी गतिविधियों के रूप में विकसित हो चुकी हैं। इसके साथ ही पेंच, खजुराहो, पचमढ़ी, जबलपुर और भोपाल जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर मैराथन को नियमित रूप से आयोजित किया गया। इन आयोजनों ने फिटनेस, पर्यटन और स्थानीय सहभागिता को एक साथ जोड़ दिया।
ट्रैकिंग और इको-टूरिज्म को मिला नया आयाम
प्राकृतिक पर्यटन को सुदृढ़ करने के लिए राज्य ने India Hikes जैसी प्रतिष्ठित संस्था के साथ अनुबंध कर बहुदिवसीय ट्रैकिंग ट्रेल्स के विकास की दिशा में कदम बढ़ाया। इसका उद्देश्य देश-विदेश के ट्रैकिंग प्रेमियों को मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित करना है। पचमढ़ी के जटाशंकर क्षेत्र में रॉक क्लाइम्बिंग, वहीं Ataavi Bird Foundation के साथ हुए MoU के तहत बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने की पहल ने प्रदेश को प्रकृति प्रेमियों के लिए खास गंतव्य बनाया।
साइक्लिंग ट्रेल्स से जुड़ा सतत पर्यटन
राष्ट्रीय उद्यानों और बफर क्षेत्रों में विकसित की गई मढ़ई–तवा साइक्लिंग, टूर-डी सतपुड़ा, टूर-डी मोगलीलैंड और टूर ऑफ कान्हा जैसी साइक्लिंग ट्रेल्स ने इको-टूरिज्म को नई दिशा दी। इन गतिविधियों ने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पर्यटन को बढ़ावा दिया, जिससे वन क्षेत्रों में दबाव कम करने और स्थानीय समुदायों को जोड़ने में मदद मिली।
ग्रीन डेस्टिनेशन की ओर कदम
साल 2025 में सतत पर्यटन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए पचमढ़ी को Global Sustainable Tourism Council (GSTC) के तहत ‘ग्रीन डेस्टिनेशन’ प्रमाणन दिलाने की प्रक्रिया शुरू की गई। यह पहल पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय संस्कृति और जिम्मेदार पर्यटन का संतुलित मॉडल पेश करती है, जो आने वाले वर्षों में अन्य पर्यटन स्थलों के लिए भी उदाहरण बनेगी।
सुविधाओं का विस्तार और सुरक्षा पर जोर
पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य ने बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया। राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व में 11 नए जंगल सफारी वाहन और 10 नई केंटर बसें शुरू की गईं। भोपाल के बोट क्लब में शिकारा बोट, चप्पू बोट और वाटर साइकिल जैसी सुविधाओं ने जल पर्यटन को नया आकर्षण दिया। साथ ही, साहसिक गतिविधियों में सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान के सहयोग से व्यवस्थाएं मजबूत की गईं और हितधारकों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
जल पर्यटन: 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धि
जल पर्यटन के क्षेत्र में 2025 मध्यप्रदेश के लिए निर्णायक वर्ष साबित हुआ। धार जिले के मेघनाथ घाट से गुजरात के केवाडिया (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) तक प्रस्तावित 120 किलोमीटर लंबे जलमार्ग पर क्रूज़ संचालन की प्रक्रिया ने राज्य को अंतरराज्यीय जल पर्यटन से जोड़ा। महेश्वर में पारंपरिक नावों का उन्नयन, गांधीसागर और राजघाट में क्रूज़ संचालन की तैयारी और अधिसूचित जल क्षेत्रों में लाइसेंस जारी किए जाने से यह स्पष्ट हुआ कि जल पर्यटन अब राज्य की प्राथमिकता बन चुका है।
मध्यप्रदेश ने पर्यटन की नई परिभाषा गढ़ी
साल 2025 ने यह साबित कर दिया कि मध्यप्रदेश में साहसिक और जल पर्यटन अब केवल गतिविधियों का समूह नहीं, बल्कि एक समग्र अनुभव बन चुका है। रोमांच, सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय विकास- इन चार स्तंभों पर खड़ा यह मॉडल आने वाले वर्षों में राज्य को पर्यटन के नए युग में अग्रणी बनाने की क्षमता रखता है। 2025 वह साल रहा, जब मध्यप्रदेश ने पर्यटन की परिभाषा को नए सिरे से गढ़ा और भविष्य के लिए मजबूत नींव रखी।
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हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत



