बीएलओ अधिकारियों का विरोध प्रदर्शन : एसआईआर की समयसीमा विस्तार की मांग

कोलकाता, 12 दिसंबर (हि.स.)। बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के एक वर्ग ने शुक्रवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि जब चुनाव आयोग ने अन्य राज्यों को विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण के लिए समय विस्तार दिया है, तो पश्चिम बंगाल को क्यों नहीं दिया गया।

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि 11 दिसंबर को गणना फॉर्म भरने की अंतिम तिथि समाप्त होने के बावजूद, गुरुवार रात को चुनाव आयोग द्वारा उन्हें नई गाइडलाइन भेजी गई हैं।

बीएलओ अधिकार रक्षा समिति के सदस्यों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के सामने धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग गणना चरण समाप्त होने के बाद भी नए निर्देश जारी कर रहा है, जिससे जमीनी स्तर के अधिकारियों पर दबाव और बढ़ गया है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि एसआईआर शुरू होने के बाद से पूरे राज्य में बीएलओ अत्यधिक मानसिक और शारीरिक दबाव में हैं। उन्होंने दावा किया कि कार्यभार के कारण प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान कई अधिकारी टूट गए हैं।

प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न जिलों में एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के बाद से कई बीएलओ की मौत की खबरों का भी हवाला दिया।

आंदोलनरत अधिकारियों ने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग ने एसआईआर संबंधी कर्तव्य के दौरान बीमार पड़ने या मृत्यु होने वाले बीएलओ के लिए किसी मुआवजे की घोषणा क्यों नहीं की है।

एक प्रदर्शनकारी ने पूछा कि राज्य सरकार चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई दुर्घटनाओं के लिए मुआवजा देती है। अनिवार्य कर्तव्यों का पालन करते समय बीमार पड़ने वाले बीएलओ को बुनियादी सहायता देने से भी चुनाव आयोग क्यों इनकार कर रहा है?

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कई अन्य राज्यों के विपरीत पश्चिम बंगाल में एसआईआर की समयसीमा बढ़ाने से इनकार ने बीएलओ को निराश और अतिभारित कर दिया है। उन्होंने तत्काल समानता की मांग की।

समिति के नेताओं ने आरोप लगाया कि बार-बार अभ्यावेदन और सीईओ कार्यालय में पहले के प्रदर्शनों के बावजूद, कार्यभार, समयसीमा और चिकित्सा सुरक्षा से संबंधित उनकी मुख्य मांगें अभी तक अनसुलझी हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय