पहले सचिवालय में बनती थीं खेती की नीतियां, अब खेत पर होती है खेती की बात :योगी
- Admin Admin
- Dec 12, 2025
बाराबंकी 12 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को बाराबंकी के दौलतपुर गांव में पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा के फार्म पर आयोजित किसान पाठशाला के आठवें संस्करण का शुभारम्भ करते हुए कहा कि आज प्रदेश में खेती का भविष्य सचिवालय के कमरों में नहीं, बल्कि खेतों की मिट्टी में लिखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले खेती की योजनाएं फाइलों में ही सिमटी रहती थीं। अधिकारी सचिवालय में बैठकर कृषि नीति तैयार करते थे। लेकिन हमारी सरकार खेत में उतरकर किसानों की समस्या समझती है और खेती की बात किसान के खेत पर ही होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीज, खाद, सिंचाई और बाजार—इन सभी क्षेत्रों में बिचौलियों की भूमिका समाप्त कर दी गई है। किसान को अब उसकी फसल का सही दाम बिना देरी और बिना कटौती के मिल रहा है।
उन्हाेंने कहा कि किसान जिन सुविधाओं के लिए पहले महीनों चक्कर काटता था, वह अब उसके घर तक पहुंच रही हैं। किसानों की आय दोगुनी हो चुकी है और आने वाले समय में तीन गुना होने की ओर बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि डबल इंजन की सरकार ने सिंचाई प्रणाली का आधुनिकीकरण किया है, किसानों को बड़े पैमाने पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए हैं और बेहतर तकनीक को खेत-खेत तक पहुंचाया है। उत्तर प्रदेश में आज कृषि तकनीक का वह विस्तार हो रहा है, जिसकी कल्पना दशकों तक नहीं की गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश देश के कुल गन्ना उत्पादन में 55 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। गन्ना किसानों के भुगतान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने 2 लाख 92 हजार करोड़ रुपये का रिकॉर्ड भुगतान किया है। यह आंकड़ा किसानों के सम्मान, मेहनत और उनकी कमाई की गारंटी है। उन्होंने कहा कि बाराबंकी पूरे पूर्वांचल का प्रवेश द्वार है और आज यह जिला कृषि नवाचार और तकनीकी मॉडल का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। प्रदेश में 79 कृषि विज्ञान केंद्र संचालित हैं। इन केंद्रों से किसानों को मिट्टी परीक्षण, फसल चयन, कीट प्रबंधन और बेहतर खेती के वैज्ञानिक तरीके बताए जा रहे हैं। खेत की मिट्टी किस फसल के लिए उपयुक्त है, यह जानकारी मिलने के बाद किसान कम खर्च में ज्यादा कमाई कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे प्रेरक उदाहरण पद्मश्री रामशरण वर्मा हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / पंकज कुमार चतुवेर्दी



