श्रम संहिताओं और मनरेगा बदलाव के खिलाफ हिमाचल में सीटू का जोरदार प्रदर्शन
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- Dec 19, 2025
शिमला, 19 दिसंबर (हि.स.)। शिमला सहित पूरे हिमाचल प्रदेश में सीटू राज्य कमेटी के आह्वान पर केंद्र सरकार की श्रम नीतियों के खिलाफ जिला और ब्लॉक मुख्यालयों पर शुक्रवार को प्रदर्शन किए गए। इन प्रदर्शनों में प्रदेशभर से हजारों मजदूरों ने हिस्सा लिया और 29 पुराने श्रम कानूनों को खत्म कर चार नई श्रम संहिताएं लागू करने तथा मनरेगा कानून को बदलने के फैसले का कड़ा विरोध किया।
शिमला में उपायुक्त कार्यालय के बाहर हुए प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम सहित सैकड़ों मजदूर शामिल हुए।
इस मौके पर सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि पिछले सौ वर्षों में मजदूरों के लंबे संघर्ष और कुर्बानियों के बाद बने 29 श्रम कानूनों को खत्म कर दिया गया है। उनका आरोप है कि नई श्रम संहिताएं उद्योगपतियों, कंपनियों और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने और मजदूरों के शोषण को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि इन संहिताओं के जरिए मजदूरों से आठ घंटे के बजाय बारह घंटे काम कराने का रास्ता खोला गया है, जिससे मजदूरों के अधिकारों पर सीधा हमला हुआ है।
सीटू नेताओं ने कहा कि नई संहिताओं में स्थायी रोजगार की व्यवस्था को कमजोर कर दिया गया है और उसकी जगह सीमित अवधि के लिए अस्थायी रोजगार का प्रावधान किया गया है। इससे युवाओं की नौकरी की सुरक्षा खत्म हो गई है। उन्होंने महिलाओं से रात में काम कराने के प्रावधान पर भी सवाल उठाए और कहा कि इससे महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर खतरा पैदा होगा। इसके अलावा मजदूरों के संगठन बनाने और अपनी मांगों के लिए आवाज उठाने के अधिकार को भी कमजोर किया गया है। हड़ताल करने पर जुर्माना और जेल जैसी सजा के प्रावधानों को मजदूर विरोधी बताया गया।
सीटू ने मनरेगा कानून में बदलाव के फैसले का भी कड़ा विरोध किया। नेताओं ने कहा कि मनरेगा देश के करोड़ों ग्रामीण मजदूरों, खासकर महिलाओं, के लिए जीवन का सहारा है। आरोप लगाया गया कि मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही मनरेगा को कमजोर करने और समाप्त करने की दिशा में काम कर रही थी। प्रधानमंत्री द्वारा पहले मनरेगा को “नाकामियों का स्मारक” कहे जाने का जिक्र करते हुए सीटू ने कहा कि अब सरकार ने इसे खत्म कर नई योजना में बदल दिया है।
सीटू राज्य कमेटी ने चेतावनी दी कि इन फैसलों के खिलाफ चरणबद्ध तरीके से संघर्ष तेज किया जाएगा और प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाया जाएगा। संगठन ने कहा कि मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए यह लड़ाई निर्णायक होगी और इसे हर हाल में आगे बढ़ाया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा



