जंगल कटाई पर डॉ प्रशांत के पत्र से सीएम ने वन विभाग को तलब किया

CM took action on deforestation

मुंबई,26 दिसंबर ( हि.स.) । मुख्यमंत्री कार्यालय ने पर्यावरणविद डॉ. प्रशांत सिनकर के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिए गए इमोशनल और ऑब्जेक्टिव बयान पर ध्यान दिया है, जिसमें उन्होंने जंगलों की कटाई और बेकाबू डेवलपमेंट की वजह से बढ़ते इंसान-तेंदुए के टकराव के बारे में बताया है। इस बयान पर विभाग की तलब करते हुए मुख्य मंत्री कार्यालय से आगे ज़रूरी कार्रवाई के लिए संबंधित एप्लीकेशन फॉरेस्ट मिनिस्टर के ऑफिस भेज दी गई है।

डॉ. सिनकर ने अपने बयान में कहा था कि मुंबई, ठाणे और पूरे महाराष्ट्र में बढ़ते इंसान-तेंदुए के टकराव के पीछे जंगलों की कटाई, अतिक्रमण, कचरा, लाइट पॉल्यूशन और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर बढ़ता अतिक्रमण वजहें हैं। उन्होंने सीधा सवाल उठाया, “क्या हम उसके जंगल में तब घुसे थे जब तेंदुआ हमारे रहने की जगह पर आया था?” उन्होंने सरकार की पॉलिसीज़ की ओर ध्यान दिलाया।

मुख्यमंत्री ऑफिस ने तुरंत इस बयान पर ध्यान दिया और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से जुड़ा मामला होने की वजह से आगे के फैसले के लिए एप्लीकेशन फॉरेस्ट मिनिस्टर ऑफिस भेज दी, जिससे यह साफ हो गया है कि सरकार ने इस गंभीर मुद्दे पर एक्शन लेना शुरू कर दिया है।

इस बयान में डॉ. सिनकर ने मांग की है कि तेंदुए को दोष देने के बजाय जंगलों की सुरक्षा, नेशनल पार्कों की सीमाओं पर प्लान्ड बस्तियां, वेस्ट मैनेजमेंट, बायोलॉजिकल कॉरिडोर बनाने और लोगों में जागरूकता लाने पर जोर दिया जाए।

उन्होंने एक कड़ा संदेश देते हुए कहा, तेंदुआ पकड़ने से समस्या हल नहीं होती; अगर जंगल नहीं बचा तो लड़ाई कभी खत्म नहीं होगी। पर्यावरणविद और नागरिक उम्मीद जता रहे हैं कि मुख्यमंत्री ऑफिस की इस पहचान की वजह से इंसान-तेंदुए की लड़ाई पर सिर्फ टेम्पररी हल के बजाय लंबे समय के और पर्यावरण के अनुकूल पॉलिसी फैसले लिए जाएंगे।

पर्तयावरणविद डॉ प्रशांत रवींद्र सिनकर का कहना है कि यदि कोई जंगल खत्म करके विकास किया जाता है और उसी प्रक्रिया के नतीजे में कोई तेंदुआ इंसानी बस्ती में आ जाता है, तो उसे क्रिमिनल अथवा कातिल माना लिया जाता है। यह न सिर्फ गलत है, बल्कि इंसान के लापरवाह रवैये का भी सबूत है। “तेंदुए नहीं, बल्कि गलत डेवलपमेंट मॉडल आज सबसे बड़ा खतरा है,”

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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा