वार्षिकीः 2025 में क्रिकेट की दुनिया में वैश्विक क्षितिज पर छाईं मप्र की क्रांति गौड़
- Admin Admin
- Dec 24, 2025
भोपाल, 24 दिसंबर (हि.स.)। बुंदेलखंड की तपती दोपहरी, धूल से अटी गलियाँ, सीमित संसाधन और परंपराओं की मजबूत दीवारें। इन सबके बीच अक्सर लड़कियों के सपने कहीं गुम हो जाते हैं लेकिन अक्सर देखा गया है कि जब कोई सपना किसी के लिए जिद बन जाता है, तो फिर सफलता लम्बे समय तक दूर नहीं रह पाती है। वर्ष 2025 में भारतीय महिला क्रिकेट की जो चमक पूरी दुनिया में छाई, उसके पीछे मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक छोटे से गाँव घुवारा की बेटी का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है। यह नाम है क्रांति गौड़।
दरअसल यह उस संघर्ष, आत्मविश्वास और बदलाव की कहानी है जिसने सामाजिक सोच, आर्थिक तंगी और लिंगभेद की दीवारों को तोड़ते हुए भारत को विश्व विजेता बनाया। यदि पीछे जाएं ओर देखें तो जिस क्रिकेट मैदान में आज क्रांति गौड़ विपक्षी बल्लेबाजों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उतरती हैं, कभी उसी मैदान में वह टेनिस बॉल उठाने वाली एक साधारण सी बच्ची थीं। गाँव के टूर्नामेंटों में लड़के बल्ला थामते थे और क्रांति को सिर्फ गेंद उठाने का मौका मिलता था। उस समय शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि यही लड़की एक दिन भारत के लिए विकेट झटकते हुए मैच जिताएगी। क्रांति का जन्म छतरपुर जिले के घुवारा गाँव के एक सामान्य परिवार में हुआ। पिता पुलिस विभाग में कार्यरत थे और माँ गृहिणी थीं। सीमित आय और सामाजिक बंदिशों के बावजूद क्रांति के मन में बचपन से ही एक सपना पल रहा था कि वह भारत के लिए क्रिकेट खेलेगी।
आर्थिक तंगी और सामाजिक चुनौतियों से जूझती बेटी
साल 2012 क्रांति के जीवन में सबसे कठिन मोड़ लेकर आया। पिता की नौकरी छूटने से परिवार आर्थिक संकट में घिर गया। घर की हालत इतनी कमजोर हो गई कि क्रांति को आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। कई लोगों ने सलाह दी कि अब क्रिकेट जैसे सपने छोड़ देने चाहिए लेकिन क्रांति ने हार मानने के बजाय संघर्ष को अपना साथी बना लिया। पढ़ाई भले ही छूट गई, पर सपनों की उड़ान नहीं रुकी। बैट और बॉल ही उसका भविष्य बन गए। संसाधनों की कमी के बावजूद वह रोज घंटों अभ्यास करती रही। कभी फटे जूते, कभी उधार की गेंद, लेकिन आत्मविश्वास हमेशा मजबूत रहा।
कोच की पहचान और साईं क्रिकेट एकेडमी का सहारा
क्रांति के जीवन में बड़ा बदलाव वर्ष 2017 में आया, जब उन्होंने छतरपुर की साईं क्रिकेट एकेडमी में प्रशिक्षण शुरू किया। यहां कोच राजीव बिल्थारे की नजर उनकी प्रतिभा पर पड़ी। कोच ने क्रांति की फीस माफ की, रहने, खाने और खेल सामग्री तक की व्यवस्था की। उन्होंने इस बेटी में वह जज्बा देखा, जो बड़े मंचों पर देश का नाम रोशन कर सकता था। यहीं से क्रांति ने टेनिस बॉल क्रिकेट से लेदर बॉल क्रिकेट तक का सफर तय किया।
गांव की मिट्टी से राष्ट्रीय मंच तक
लगातार मेहनत और अनुशासन का असर जल्द ही दिखने लगा। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बाद वर्ष 2023 24 में क्रांति गौड़ का चयन मध्य प्रदेश की सीनियर महिला टीम में हुआ। अगले ही सत्र में उन्होंने ऐसा प्रभावशाली प्रदर्शन किया कि पूरा देश उनकी प्रतिभा का कायल हो गया। मध्य प्रदेश को पहला घरेलू वनडे खिताब दिलाने में उनकी गेंदबाजी की भूमिका अहम रही। उनकी तेज और सटीक गेंदों के आगे बल्लेबाज संघर्ष करते नजर आए।
महिला प्रीमियर लीग से टीम इंडिया तक
क्रांति की प्रतिभा अब राष्ट्रीय चयनकर्ताओं और फ्रेंचाइजियों की नजर में आ चुकी थी। महिला प्रीमियर लीग 2025 की नीलामी में यूपी वॉरियर्स ने उन्हें 10 लाख रुपये में अपनी टीम में शामिल किया। लीग में शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय महिला टीम में जगह मिली। श्रीलंका में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने अपना वनडे पदार्पण किया और पहले ही अवसर पर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए।
इंग्लैंड दौरा और ऐतिहासिक प्रदर्शन
इंग्लैंड दौरे पर क्रांति गौड़ ने वह कर दिखाया जिसे हर गेंदबाज अपने जीवन में जीना चाहता है और उस दिन का सपना देखता है। उन्होंने मात्र 52 रन देकर 6 विकेट झटके और भारत को बड़ी जीत दिलाई। यह प्रदर्शन उनके आत्मविश्वास, मेहनत और मानसिक मजबूती का प्रमाण था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में उनका नाम तेजी से पहचाना जाने लगा।
2025 महिला विश्व कप और स्वर्णिम इतिहास
वर्ष 2025 का आईसीसी महिला विश्व कप भारतीय क्रिकेट के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बन गया। 47 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद भारत ने विश्व खिताब अपने नाम किया। इस ऐतिहासिक जीत में क्रांति गौड़ का योगदान निर्णायक रहा। अहम मुकाबलों में उनकी धारदार गेंदबाजी ने विपक्षी टीमों की रणनीति को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। भारत की जीत के साथ ही क्रांति देश की नई प्रेरणा बनकर उभरीं।
सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने क्रांति गौड़ को एक करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की लेकिन क्रांति के लिए सबसे बड़ा सम्मान वह पहचान है, जो आज उन्हें देशभर की बेटियों के दिलों में मिली है। वह अब साहस, संघर्ष और सफलता की मिसाल बन चुकी हैं। बुंदेलखंड की धूल भरी गलियों से निकलकर विश्व मंच तक पहुंची यह बेटी आज आने वाली पीढ़ियों के लिए उम्मीद की रोशनी बन चुकी है। यह है 2025 में मध्य प्रदेश की क्रांति गौड़ की कहानी, जिसने क्रिकेट के मैदान पर इतिहास रचा और भारत का परचम पूरी दुनिया में लहराया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी



