दिल्ली में 'साहित्य उत्सव 2026' के संदर्भ में एक साहित्यिक परिचर्चा आयोजित

​नई दिल्ली, 28 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली में रविवार को आगामी 23-25 जनवरी को रायपुर में होने वाले 'साहित्य उत्सव 2026' के संदर्भ में एक साहित्यिक परिचर्चा आयोजित की गयी।

इस दौरान, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के रचनात्मक योगदान और व्यक्तित्व को याद किया गया।

इसी बीच, देश में आयोजित होने वाले साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता पर भी गंभीर और सार्थक संवाद स्थापित किया गया। ​परिचर्चा के एक सत्र में 'साहित्य उत्सवों में कितना साहित्य' विषय पर भी महत्वपूर्ण विचार रखे गए। रायपुर साहित्य उत्सव 2026 का आयोजन 23- 25 जनवरी तक होना प्रस्तावित है।

आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए बताया कि उनके महान साहित्यिक व्यक्तित्व के विपरीत वे अत्यंत सरल और सहज थे। उनकी बातचीत में आत्मीयता होती थी, जो बिना लाग-लपेट के सीधे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहते थे।

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने बताया कि विनोद कुमार शुक्ल का मानना था कि वे गंभीर लेखन तो कर चुके हैं, लेकिन अब उन्हें नई पीढ़ी के साथ न्याय करने का अवसर बाल साहित्य के माध्यम से मिला है।

​अनिल जोशी ने उनकी लेखनी की तुलना अमूर्त पेंटिंग से की, जिसे समझने के लिए पाठक को ठहरकर देखना और महसूस करना पड़ता है।

​लेखक अनंत विजय ने साहित्य में गहराई की अनिवार्यता पर बल दिया, क्योंकि गहराई होगी तभी साहित्य अपनी स्थायी छाप छोड़ पाएगा।

​उन्होंने जोर देकर कहा कि साहित्य उत्सवों के सत्रों की संरचना में ठोस लेखन होना चाहिए, ताकि श्रोता और पाठक उनसे जुड़ सकें।

​अनंत विजय ने स्पष्ट किया कि रायपुर साहित्य उत्सव पूरी तरह व्यावसायिकता से दूर रहेगा। उन्होंने 'सेल्फी संस्कृति' को साहित्य का दुश्मन बताया और कहा कि यदि किसी सत्र में फिल्म जगत से कोई व्यक्ति आमंत्रित किया जाता है, तो मंच पर एक साहित्यकार की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि साहित्य केंद्र में बना रहे।

साहित्यकार अनिल जोशी ने कहा कि साहित्य उत्सवों की उपयोगिता अत्यधिक हो सकती है, बशर्ते उनके उद्देश्य स्पष्ट हों।

​पूर्व संपादक एवं लेखक प्रताप सोमवंशी ने कहा कि समय के साथ लेखन के स्वरूप में बदलाव आया है और आज नई शैली में साहित्य रचा जा रहा है, लेकिन पारंपरिक शैली में लेखन भी निरंतर हो रहा है, जिसे पाठक आज भी समान रूप से पसंद कर रहे हैं।

इस अवसर पर रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा, संजीव सिन्हा सहित देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विचारक मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी