रानी रेवती देवी विद्यालय में “परीक्षा पे चर्चा“ का कार्यक्रम

--दिव्यकांत शुक्ल ने परीक्षार्थी भैया बहनों को महत्वपूर्ण टिप्स दिये

प्रयागराज, 26 दिसम्बर (हि.स.)। विद्या भारती से संबद्ध काशी प्रांत के रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर में भैया बहनों के उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन हेतु विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एवं माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने हाईस्कूल एवं इंटर के भैया बहनों को अभिप्रेरित करने के क्रम मे परीक्षा पे चर्चा के क्रम में बच्चों को टिप्स दिये।

विद्यालय के संगीताचार्य एवं मीडिया प्रभारी मनोज गुप्ता ने बताया कि प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में दिव्यकांत शुक्ल ने तीन सत्रों में भैया बहनों से सीधा संवाद किया। प्रथम सत्र में हाईस्कूल के भैया बहनों, द्वितीय सत्र में इंटर के भैया बहनों तथा तृतीय सत्र में मेधावी भैया बहनों को सम्बोधित किया। बच्चों को परीक्षा से होने वाले तनाव एवं उसे दूर करने के उपाय, समय प्रबंधन, परीक्षा की बेहतर तैयारी, लेखन कौशल में सुधार, स्वास्थ्य एवं समुचित आहार, विभिन्न विषयों के अध्ययन में आने वाली कठिनाइयों एवं उनके समाधान तथा नियमित अध्ययन के महत्व पर विस्तार से वार्ता की। इस मौके पर बच्चों ने भी अपनी कठिनाइयों के समाधान हेतु विविध जिज्ञासाएं प्रकट की। जिनका समुचित समाधान करते हुए उनका मार्गदर्शन भी उन्होंने किया।

प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय ने भैया बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह अभियान भैया बहनों की परीक्षा सकुशल कैसे सम्पन्न हो, यह उसका हिस्सा है। जिसका मुख्य उद्देश्य परीक्षा के तनाव को कम करना, सकारात्मकता लाना और परीक्षा को एक अवसर के रूप में देखना है, न कि जीवन-मरण का प्रश्न। यह चर्चा परीक्षा के दबाव से निपटने, जीवन कौशल विकसित करने और अपनी रुचियों के अनुसार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

इसके पूर्व प्रधानाचार्य बांके बिहारी पाण्डेय ने दिव्यकांत शुक्ल को अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अंत में समस्त आचार्यों के साथ भी बैठक करके दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि आप भी कैसे भैया बहनों का बेहतर मार्गदर्शन कर सकते हैं। इस पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त आचार्य एवं आचार्या बहने तथा भैया बहन उपस्थित रहे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र