जातीय आस्था स्थलों तक अज्ञात लोगों को प्रवेश न दें : मुख्यमंत्री

नगांव (असम), 29 दिसंबर (हि.स.)। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने बटद्रवा की पावन धरती से कड़ा संदेश देते हुए कहा कि असम को जाति का बरघर (आस्था स्थलों) तक किसी भी अज्ञात व्यक्ति को प्रवेश या निवास की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उनका इशारा बांग्लादेशी मुस्लिमों की ओर था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि असम की सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पहचान की रक्षा सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

श्रीमन्त शंकरदेव के पवित्र आविर्भाव क्षेत्र के विकास कार्यों के उद्घाटन अवसर पर साेमवार काे आयोजित विशेष जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि “कोई भी अचिन्हित या अज्ञात व्यक्ति असम में न रहे, इसके लिए समाज को सतर्क रहना होगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि असम की परंपरा और वैष्णव संस्कृति से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।

मुख्यमंत्री ने धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भ में भी स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा कि महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव को किसी अन्य धार्मिक व्यक्तित्व के साथ जबरन एकाकार करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “शंकरदेव और अजान फकीर को एक ही रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश न करें। शंकरदेव की विचारधारा, दर्शन और योगदान अद्वितीय हैं।”

इससे पूर्व, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बटद्रवा के पवित्र गुरु आसन में पारंपरिक गामोछा, पाट रेशम की चेलेंग सादर, मुखा शिल्प और गुरु आसन के पवित्र प्रतीक चित्र भेंट कर पारंपरिक स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री ने इस पावन स्थल पर केंद्रीय गृह मंत्री का स्वागत करने का अवसर मिलने पर स्वयं को गौरवान्वित बताया।

अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के परम् शिष्य एवं असम में नव-वैष्णव धर्म के प्रमुख प्रचारक महापुरुष श्रीश्री माधवदेव द्वारा रचित एक घोषा का स्मरण भी किया और इसे आध्यात्मिक अनुभूति का क्षण बताया।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु, वैष्णव समाज के प्रतिनिधि, संत-महात्मा और आम लोग उपस्थित रहे, जिससे कार्यक्रम असम की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का सशक्त प्रतीक बन गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश