आईजीएमसी मारपीट मामला : डॉक्टर की बर्खास्तगी रद्द करने पर अड़े डॉक्टरों के संगठन, 27 से हड़ताल की चेतावनी

शिमला, 25 दिसंबर (हि.स.)। आईजीएमसी में मरीज से मारपीट के मामले में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव निरुला को बर्खास्त किए जाने के फैसले के खिलाफ डॉक्टर संगठनों का विरोध तेज हो गया है। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए), कंसल्टेंट स्पेशलिस्ट एसोसिएशन (सीएसए) और अब हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने साफ कर दिया है कि यदि बर्खास्तगी का आदेश तुरंत रद्द नहीं किया गया तो 27 दिसंबर से हड़ताल शुरू की जाएगी। डॉक्टर संगठनों ने इस कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए सरकार और प्रशासन पर दबाव में फैसला लेने का आरोप लगाया है।

हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की राज्य स्तरीय बैठक गुरूवार को आयोजित हुई, जिसमें सभी जिलों के पदाधिकारी और राज्य इकाई के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि संघ, आईजीएमसी शिमला की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा। संघ ने आरडीए की सभी मांगों का समर्थन करते हुए आंदोलन में साथ देने का ऐलान किया है।

वहीं, इसी दिन आईजीएमसी परिसर में आरडीए और सीएसए ने एसएएमडीसीओटी के सदस्यों की जानकारी और समर्थन से गेट मीटिंग का आयोजन किया। इस बैठक में डॉक्टर संगठनों ने कहा कि डॉक्टर राघव निरुला को सेवा से बर्खास्त करना अन्यायपूर्ण है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। संगठनों का आरोप है कि घटना के बाद डॉक्टर राघव को जान से मारने की धमकियां दी गईं और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर करने की बात कही गई। डॉक्टरों का कहना है कि यह बेहद गंभीर मामला है और इससे न केवल एक डॉक्टर की सुरक्षा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सवाल भी खड़े होते हैं। उन्होंने मांग की कि इस संबंध में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत तुरंत एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए।

डॉक्टर संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि 22 दिसंबर की घटना के बाद आईजीएमसी परिसर में भीड़ द्वारा डराने-धमकाने और हंगामे की स्थिति बनी। उनके अनुसार बड़ी संख्या में लोग अस्पताल के भीतर घुसे, नारेबाजी की गई और आरोपी डॉक्टर को उनके हवाले करने की मांग की गई, जिससे डॉक्टरों और अन्य मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई और अस्पताल का नियमित कामकाज बाधित हुआ। इस मामले में भी एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। इसके साथ ही डॉक्टरों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाते हुए कहा कि भीड़ द्वारा अस्पताल की संपत्ति को क्षति पहुंचाई गई, जिस पर कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए।

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी डॉक्टर संगठनों ने प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि आईजीएमसी में पहले से ही सीसीटीवी कवरेज और सुरक्षा इंतजामों में खामियों की जानकारी दी गई थी, लेकिन समय रहते इन्हें दूर नहीं किया गया। डॉक्टरों का आरोप है कि यदि सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त होती तो हालिया घटना को रोका जा सकता था। उन्होंने पूरे मामले की व्यापक समीक्षा और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की है।

रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने आंदोलन की रूपरेखा स्पष्ट करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री के साथ गुरुवार सुबह 9:45 बजे प्रस्तावित बैठक को देखते हुए 26 दिसंबर को डॉक्टर एक दिन के सामूहिक कैजुअल लीव पर रहेंगे। यदि इस बैठक में उनकी मांगों पर कोई ठोस फैसला नहीं हुआ तो 27 दिसंबर को सुबह 9:30 बजे से हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी, लेकिन ओपीडी और सभी नियोजित ऑपरेशन थिएटर बंद रहेंगे। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने भी 26 दिसंबर को सामूहिक कैजुअल लीव पर जाने और 27 दिसंबर से आरडीए की रणनीति के अनुसार आगे की कार्रवाई करने का फैसला लिया है। संगठनों ने साफ किया है कि हड़ताल की स्थिति में केवल आपातकालीन सेवाएं ही मरीजों को उपलब्ध करवाई जाएंगी।

बता दें कि यह पूरा विवाद उस फैसले के बाद शुरू हुआ है, जब सुक्खू सरकार ने आईजीएमसी में मरीज से मारपीट के मामले में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव निरुला को बर्खास्त कर दिया।

मामले की शुरुआत 22 दिसंबर को हुई थी, जब चौपाल उपमंडल के कुपवी क्षेत्र के निवासी अर्जुन पंवार आईजीएमसी में इलाज के लिए पहुंचे थे। आरोप है कि जांच के बाद आराम करने के दौरान वार्ड में लेटने को लेकर डॉक्टर और मरीज के बीच कहासुनी हुई, जो मारपीट में बदल गई। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अस्पताल में तनाव फैल गया। मरीज के परिजन और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में आईजीएमसी पहुंचे और प्रदर्शन किया। सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच बिठाई और डॉक्टर को बर्खास्त करने का फैसला लिया, वहीं मरीज को भी दोषी ठहराया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा