नेपाल के पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के खिलाफ विजिट वीजा कांड की जांच

काठमांडू, 11 दिसंबर (हि.स.)। नेपाल के एंटी करप्शन ब्यूरो ने संकेत दिया है कि वह विजिट-वीजा भ्रष्टाचार कांड की जांच में पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक की संभावित भूमिका की भी पड़ताल कर रहा है।

ब्यूरो यह जांच कर रहा कि क्या लेखक के मातहत रहे वरिष्ठ अधिकारी विदेश जाने वाले नेपाली नागरिकों से अवैध वसूली तथा गैर-कानूनी लेनदेन में संलिप्त थे।

ब्यूरो के अनुसार जांच के दौरान त्रिभुवन अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल आव्रजन कार्यालय के पूर्व सहसचिव एवं प्रमुख तीर्थराज भट्टराई तथा पूर्व गृह मंत्री लेखक के निजी सचिव बद्री प्रसाद तिवारी और व्यक्तिगत सचिव जनक भट्ट के बीच “अस्वाभाविक आर्थिक संबंध” पाया गया। ब्यूरो का कहना है कि यही संबंध विजिट-वीजा रैकेट से जुड़े अवैध आर्थिक कारोबार को सहज बनाने में सहायक हो सकता है।

ब्यूरो ने बताया कि जांच का दायरा भट्टराई और उनके प्रत्यक्ष सहयोगियों तक सीमित नहीं है। जांच के घेरे में गृह सचिव, आव्रजन विभाग के निर्देशक, तथा अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं, जिन पर “सेटिंग” के माध्यम से यात्रा अनुमति तथा वीज़ा स्वीकृति प्रक्रिया में हेरफेर करने का संदेह है।

यह कथित गतिविधियां गृह मंत्री के कार्यालय के प्रभाव या निर्देशन में हुई हों, इसकी भी जांच की जा रही है।

ब्यूरो प्रमुख प्रेम राई ने कहा कि यह सेटिंग सुनियोजित तरीके से की गई प्रतीत होती है, जिसमें संभवतः उच्च अधिकारी गृहमंत्री कार्यालय तक कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए अवैध लेनदेन में शामिल रहे हों।”

इस घोटाले में भट्टराई सहित छह लोगों पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जबकि तीन व्यक्तियों पर मनी-लॉन्ड्रिंग के आरोप में भी कार्रवाई हुई है। अब आयोग यह पता लगाने में जुटा है कि लेखक के कार्यालय ने इन गतिविधियों को किस प्रकार संभव बनाया या उन पर निगरानी क्यों नहीं की।

ब्यूरो ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह जांच सभी स्तरों पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की जा रही है, विशेष रूप से उन वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध जो अपने पद का दुरुपयोग कर विदेश जाने वाले नागरिकों से अवैध वसूली में शामिल रहे हो सकते हैं।

यह घोटाला तब उजागर हुआ जब मार्च में भट्टराई की गिरफ्तारी के बाद आव्रजन संचालन तथा गृह मंत्रालय की निगरानी भूमिका पर गंभीर प्रश्न उठने लगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास