धमतरी : सेमरा रोपणी में सीड नट से तैयार हो रहे गुणवत्तापूर्ण नारियल पौधा

धमतरी, 25 दिसंबर (हि.स.)। धमतरी जिले में कृषि को अधिक टिकाऊ, लाभकारी और भविष्य उन्मुख बनाने की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा फसल चक्र परिवर्तन को लेकर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। परंपरागत धान-प्रधान खेती पर निर्भरता कम कर किसानों को रबी मौसम में कम जल-खपत वाली फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी की ओर प्रेरित किया जा रहा है। इसी क्रम में जिले में नारियल आधारित खेती को एक प्रभावी और स्थायी विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है।

धमतरी जिले का वातावरण, उपयुक्त तापमान, आर्द्रता और वर्षा का अनुकूल पैटर्न नारियल की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस वैज्ञानिक आधार को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने नारियल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध पहल शुरू की है। शासकीय उद्यान रोपणी, सेमरा (नगरी) में सीड नट से उच्च गुणवत्ता वाले नारियल पौधों की तैयारी की जा रही है। यहां वैज्ञानिक पद्धति से पौध तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे पौधों की जीवितता, बेहतर वृद्धि और दीर्घकालीन उत्पादकता सुनिश्चित हो सके।

इस पहल का उद्देश्य केवल फसल विविधीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों की आय में स्थायी वृद्धि करना भी है। नारियल एक बहुउपयोगी फसल है, जिसके फल, तेल, कोपरा, रेशा और नारियल जल की बाजार में निरंतर मांग रहती है। कम सिंचाई आवश्यकता और लंबे समय तक उत्पादन क्षमता के कारण यह फसल जोखिम को कम करती है और किसानों के लिए नियमित आय का भरोसेमंद साधन बनती है। नारियल आधारित उद्यानिकी से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। जिला प्रशासन द्वारा किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, पौध आपूर्ति, रोपण दूरी, पोषण प्रबंधन तथा रोग-कीट नियंत्रण संबंधी जानकारी दी जा रही है। कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के समन्वय से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि किसान आधुनिक और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें। कई प्रगतिशील किसानों ने इस नवाचार को अपनाते हुए अपने खेतों में नारियल रोपण शुरू कर दिया है, जिससे अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। फसल चक्र परिवर्तन के इस मॉडल से जल संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य में सुधार और जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा मिल रहा है।

धमतरी जिले में नारियल आधारित उद्यानिकी की यह पहल आने वाले वर्षों में जिले को एक नई पहचान देने की क्षमता रखती है। यह प्रयास न केवल किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है, बल्कि टिकाऊ कृषि और समृद्ध ग्रामीण भविष्य की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा