इटानगर, 10 दिसंबर (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश गालो क्रिस्चियन फेडरेशन
(जीसीएफ) ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि 6 दिसंबर को वेस्ट
सियांग जिले के बिली गांव में प्रि- क्रिस्मस उत्सव के दौरान ईसाई समुदाय के साथ
हुई घटनाओं की राज्य जांच दल या मजिस्ट्रेट द्वारा गहन जांच करने की मांग की है।
आज अरुणाचल प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए जीसीएफ के
महासचिव तोजोम कोयू ने बताया कि वेस्ट सियांग जिले के आलो में धार्मिक असहिष्णुता
की अभूतपूर्व घटनाएं घटी हैं। ये घटनाएं धर्मनिरपेक्षता, समानता और आस्था की स्वतंत्रता जैसे हमारे संवैधानिक मूल्यों को कमजोर करती हैं, जहां ईसाइयों को उनकी धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से रोका जा रहा है।
हाल ही में 6 दिसंबर को बिली गांव में हुई घटना में कुछ समूहों ने प्रि- क्रिस्मस उत्सव में बाधा डालने की कोशिश की, जिसमें
प्रतिभागियों पर पत्थर फेंके गए जिसके चलते कई लोग घायल हो गए। उन्होंने पंडाल के चारों ओर
लगी बाड़ को भी तोड़ दिया। धार्मिक स्वतंत्रता का ऐसा घोर अपमान मानवीय सहनशीलता
से परे है। इसलिए, जीसीएफ ने साथी नागरिकों के खिलाफ इन बर्बर कृत्यों की कड़ी
निंदा की और एसआईटी या एसआईसी द्वारा मामले की गहन जांच की मांग की।
जीसीएफ, इस तरह की गतिविधियों की कड़ी निंदा करता है जिनमें ईसाई
समुदाय को अन्य धार्मिक समूहों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, जो एक सभ्य और धर्मनिरपेक्ष समाज में अनुचित व्यवहार है।
जीसीएफ ने यह भी दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश की स्वदेशी आस्था और सांस्कृतिक
संस्था (आईएफसीएसएपी) अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1978, विशेष रूप से इसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता को गलत जानकारी दे रही है।
जबकि अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा अधिनियम को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
जीसीएफ ने यह भी आरोप लगाया कि ईसाई धर्म के विरुद्ध ये सभी अत्याचार और
उत्पीड़न आईएफसीएसएपी द्वारा गुमराह किए जाने के कारण उत्पन्न हुए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी



