आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने तमिलनाडु आधारित फर्जी फ्रेंच वीज़ा गिरोह का भंडाफोड़, मुख्य एजेंट गिरफ्तार

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (हि.स.)। आईजीआई एयरपोर्ट थाना पुलिस ने फर्जी वीजा रैकेट के खिलाफ लगातार चल रही कार्रवाई के तहत एक बड़े अंतरराज्यीय नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह तमिलनाडु और तिरुचिरापल्ली जिलों में सक्रिय था और भारतीय युवाओं को फ्रांस में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी फ्रेंच डी-टाइप वीज़ा उपलब्ध कराता था। पुलिस ने मामले में मुख्य एजेंट वी. कन्नन को तमिलनाडु से गिरफ्तार कर लिया है। जबकि उसके सहयोगियों की तलाश जारी है।

आईजीआई एयरपोर्ट के पुलिस उपायुक्त विचित्र वीर ने मंगलवार काे बताया कि 28 अक्टूबर 2025 को तीन भारतीय यात्री नवीराज सुब्रमणियम (23), मोहन गांधी इलंगोवन (38)और प्रभाकरण सेंथिलकुमार (28) पेरिस जाने के लिए टर्मिनल-3 पर इमिग्रेशन काउंटर पर पहुंचे। जांच के दौरान उनके पासपोर्ट पर लगे फ्रेंच डी-टाइप वीज़ा संदिग्ध पाए गए और महत्वपूर्ण सुरक्षा फीचर्स से रहित होने के कारण फर्जी घोषित किए गए। इसके बाद आईजीआई एयरपोर्ट थाने में बीएनएस और पासपोर्ट अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि नवीराज का वीज़ा उसके भाई ने 6 लाख रुपये में कराया, जबकि मोहन गांधी और प्रभाकरण के फर्जी वीज़ा एक स्थानीय एजेंट ने 12–12 लाख रुपये में उपलब्ध कराए।

पुलिस उपायुक्त के अनुसार मामले काे गंभीरता से लेते हुए इंस्पेक्टर वीरेंद्र त्यागी की देखरेखा में पुलिस टीम ने तकनीकी निगरानी और स्थानीय इनपुट के आधार पर 55 वर्षीय एजेंट वी. कन्नन को तमिलनाडु के नंजई अडियार से दबोचा। पूछताछ में कन्नन ने बताया कि वह परमाथी में एक सरकारी संबद्ध आईटीआई चलाता है और साथ ही वेट्री ओवरसीज़ नाम से ओवरसीज़ एजुकेशन कंसल्टेंसी भी ऑपरेट करता है।

आगे आराेपित ने बताया कि वह अपने साथी साथिक सैयद के साथ मिलकर अब तक 16 युवाओं को पेरिस में वेयरहाउस नौकरी का झांसा देकर फर्जी वीज़ा दिला चुका है। राशि का भुगतान बैंक ट्रांसफर और नकद—दोनों तरीकों से लिया जाता था। आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने बताया कि नवंबर 2025 में कुल 26 लोगों को फर्जी वीज़ा/पासपोर्ट मामलों में गिरफ्तार किया गया। जिनमें 6 एजेंट शामिल हैं। वहीं, हवाई अड्डे पर अवैध गतिविधियों और दलाली पर नकेल कसते हुए 28 काे दबाेचा गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी