हिमाचल में जियोडेटिक रजिस्टर और मैप जारी, आपदा प्रबंधन व योजनाओं में मिलेगी बड़ी मदद
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- Dec 12, 2025
शिमला, 12 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में भू-स्थानिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) के.के. पंत ने शुक्रवार को राज्य के जियोडेटिक रजिस्टर और जियोडेटिक मैप का विमोचन किया। यह रजिस्टर भू-स्थानिक निदेशालय पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के निदेशक गौरव कुमार सिंह द्वारा तैयार किया गया है।
जियोडेटिक रजिस्टर में प्रदेश की भौगोलिक और सर्वेक्षण संबंधी अधोसंरचना को छह मुख्य श्रेणियों में शामिल किया गया है। इनमें सतत संचालन संदर्भ स्टेशन, ग्रेट ट्रिग्नोमैट्रिक सर्वे स्टेशन, ग्राउंड कंट्रोल प्वाइंट्स, मैग्नेटिक रेफ्रेंस स्टेशन, ग्रैविटी रेफ्रेंस स्टेशन और लेवलिंग बेंचमार्क शामिल हैं। ये सभी तकनीकी बिंदु भूमि मापन, भू-सर्वेक्षण और वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए बेहद अहम माने जाते हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत ने कहा कि इस रजिस्टर के साथ तैयार किया गया जियोडेटिक एसेट्स मैप हिमाचल प्रदेश के भू-स्थानिक संसाधनों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जटिल भौगोलिक परिस्थितियों और आपदा-संवेदनशीलता को देखते हुए यह रजिस्टर और मैप भविष्य की आपदा न्यूनीकरण योजनाओं के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भूस्खलन, भूकंप और बादल फटने जैसी घटनाओं के लिहाज से संवेदनशील है, ऐसे में सटीक भू-डेटा आपदा प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पर्यावरण अनुकूल अधोसंरचना निर्माण पर विशेष ध्यान दे रही है। इस दृष्टि से जियोडेटिक रजिस्टर सुनियोजित, वैज्ञानिक और पर्यावरण-सुरक्षित विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा। पंत ने कहा कि वैज्ञानिक शोध, भू-अध्ययन और नीति-निर्माण में भी यह दस्तावेज एक मील का पत्थर साबित होगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा आधुनिक तकनीक का उपयोग लगातार बढ़ाया जा रहा है। गांवों के नक्शे पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे हैं और भू-नक्शा एवं स्वामित्व परियोजनाओं में भी इस डेटा का प्रयोग किया जा रहा है। इससे जनता को पारदर्शी और त्वरित सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा



