ग्राम पंचायतों को मिले स्वायत्तता और 50 प्रतिशत विकसित भूमि का अधिकार

जयपुर, 10 दिसंबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को संयुक्त अभिभावक संघ, युवा हल्ला बोल, भारत जोड़ो मिशन सोसाइटी एवं ऑल कोचिंग इंस्टिट्यूट महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर राजस्थान की ग्राम पंचायतों को वित्तीय स्वायत्तता, स्थायी आय स्रोत और विकास प्राधिकरणों द्वारा अधिग्रहित भूमि में से 50 प्रतिशत विकसित भूमि देने की मांग की।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आज भी ग्रामीण गरीब, दलित और वंचित वर्ग आवास व मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि पंचायतें वित्तीय अधिकारों के अभाव में सीमित दायरे में काम कर पा रही हैं।

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि 70 वर्षों बाद भी पंचायतों को स्थायी आय का स्रोत नहीं मिल पाया। यदि अधिग्रहित भूमि का 50 प्रतिशत हिस्सा पंचायतों को मिले तो गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और शिक्षा, रोजगार व विकास के नए द्वार खुलेंगे। आजादी के बाद जो परिवर्तन ग्रामीण शिक्षा में होने चाहिए थे, वे नहीं हुए, परिणामस्वरूप गांव खाली हो रहे हैं और संस्कार लुप्त हो रहे हैं।”

युवा हल्ला बोल प्रदेश अध्यक्ष ईरा बॉस ने कहा कि ग्राम स्तर पर वित्तीय स्वायत्तता ही वास्तविक लोकतंत्र की नींव है। जनसंख्या व क्षेत्रफल के आधार पर अनिवार्य बजट पंचायतों को मिलना चाहिए। जिससे गांवों से पलायन रुकेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

भारत जोड़ो मिशन सोसाइटी एवं ऑल कोचिंग इंस्टिट्यूट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अनीष कुमार नाडार ने कहा कि मूल निवास, जाति व आय प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार ग्राम सरकार को मिलना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा और नागरिकों की वास्तविक पहचान सुनिश्चित हो सकेगी।

संयुक्त संगठनों ने आशा व्यक्त की कि राज्यपाल की पहल से ग्रामीण स्वायत्तता की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया जाएगा, जिससे गांवों का आर्थिक व सामाजिक सशक्तीकरण संभव होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश