छोटे कार्यालयों को शिमला से धर्मशाला बदलना तर्कहीन : हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय

शिमला, 31 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राजधानी शिमला से कांगड़ा जिला के मुख्यालय धर्मशाला में छोटे और अधिकतर अस्थायी कर्मचारियों वाले कार्यालयों को स्थानांतरित करने के राज्य सरकार के फैसले पर कड़ी टिप्पणी की है। न्यायालय ने इसे तर्कहीन बताते हुए कहा है कि अगर सरकार वाकई शिमला को भीड़भाड़ से मुक्त करना चाहती है तो उसे साहस दिखाते हुए बड़ी संख्या में नियमित कर्मचारियों वाले बड़े कार्यालयों को शिमला से बाहर स्थानांतरित करना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) कार्यालय को शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। न्यायालय ने रेरा कार्यालय के स्थानांतरण पर पहले से लगाए गए रोक के आदेश को जारी रखने के निर्देश भी दिए।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि कांगड़ा जिले को विकसित करने और शिमला शहर में बढ़ती भीड़ को कम करने के उद्देश्य से एक नीतिगत फैसले के तहत कुछ कार्यालयों को धर्मशाला स्थानांतरित किया गया है। इस पर न्यायालय ने कहा कि रेरा से जुड़े अधिकतर प्रोजेक्ट शिमला और आसपास के इलाकों से संबंधित हैं, जबकि जिन कर्मचारियों को शिफ्ट किया जा रहा है, उनका कांगड़ा जिले से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।

न्यायालय ने यह भी कहा कि रेरा कार्यालय के धर्मशाला चले जाने से डेवलपर्स और अन्य हितधारकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें पहले धर्मशाला में रेरा कार्यालय से समन्वय करना होगा और इसके बाद शिमला में स्थित अन्य विभागों और कार्यालयों से संपर्क करना पड़ेगा, जहां से आवश्यक अनुमतियां मिलती हैं। इससे कामकाज और प्रक्रियाएं और अधिक जटिल हो जाएंगी।

उच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिन कार्यालयों को स्थानांतरित किया जा रहा है, उनमें कर्मचारियों की संख्या पहले ही बहुत कम है। ऐसे में इन छोटे संस्थानों को शिफ्ट करने से शिमला की भीड़ में कोई खास कमी नहीं आएगी। न्यायालय ने कहा कि सरकार को छोटे और सीमित स्टाफ वाले कार्यालयों को निशाना बनाने के बजाय अपने बड़े और नियमित कर्मचारियों वाले कार्यालयों को स्थानांतरित करने की सलाह दी जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा