नील विद्रोह की स्मृति स्थल पर ताला, बड़े दिन पर सूना रहा फांसीडांगा
- Admin Admin
- Dec 26, 2025
मेदिनीपुर, 26 दिसंबर (हि. स.)। नील विद्रोह के नायकों की शहादत से जुड़ी स्मृतियों को संजोने के उद्देश्य से स्थापित फांसीडांगा उद्यान समुचित रखरखाव के अभाव में अपना आकर्षण खोता जा रहा है। बड़े दिन (क्रिसमस) की छुट्टी में तफरीह के मकसद से फांसीडांगा उद्यान पहुंचे पर्यटकों को उस वक्त गहरी निराशा हाथ लगी, जब उन्होंने उद्यान के मुख्य द्वार पर ताला लटका देखा। चंद्रकोणा-दो ब्लॉक के बसनछोड़ा ग्राम पंचायत अंतर्गत फांसीडांगा इलाके में स्थित यह उद्यान गुरुवार को पूरी तरह बंद रहा।
सेवानिवृत्त शिक्षक अनिलचंद्र सांतरा अपने नाती-पोतों के साथ उद्यान देखने आए थे। गेट के बाहर खड़े होकर भीतर झांकते हुए उन्होंने कहा कि कई साल पहले एक बार आया था, तब इतना सजा-संवरा नहीं था। सुना था कि नए सिरे से सजने के बाद यहां अच्छी भीड़ होती है। लेकिन आज आकर देखा तो गेट में ताला लगा है, अंदर झाड़-झंखाड़ भरे पड़े हैं। अचानक क्यों बंद हो गया, समझ नहीं आ रहा।
केवल यही परिवार नहीं, बल्कि बड़े दिन के मौके पर फांसीडांगा उद्यान देखने आए कई लोगों को लौटना पड़ा। कुछ लोग तो बंद गेट के सामने खड़े होकर तस्वीरें खींचते नजर आए।
स्थानीय निवासी विकास मंडल ने बताया, “फांसी मंच के पास बना यह पार्क दो साल तक खूब चला। ग्राम पंचायत प्रवेश शुल्क भी लेती थी। चार-पांच युवक यहां काम करते थे, अच्छी आमदनी हो रही थी। लेकिन रखरखाव और निगरानी ठीक से नहीं हुई। नतीजा सामने है।”
फांसीडांगा उद्यान को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने के उद्देश्य से ब्लॉक प्रशासन और ग्राम पंचायत ने करोड़ों रुपये खर्च कर इसका कायाकल्प किया था। झूले, बैठने की व्यवस्था, दुर्लभ पौधे और रंगीन रोशनी से पूरे परिसर को सजाया गया था। अक्टूबर 2021 में, बड़े दिन से करीब डेढ़ महीने पहले इस नव-निर्मित उद्यान का उद्घाटन हुआ था। इसके बाद लगातार दो वर्षों तक यह ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र पर्यटकों से गुलजार रहा, खासकर क्रिसमस और नववर्ष के दौरान।
हालांकि गुरुवार को बड़े दिन पर यहां कोई चहल-पहल नहीं दिखी। उद्यान परिसर सुनसान पड़ा रहा। रखरखाव के अभाव में अंदर घास-फूस उग आए हैं और कई कीमती संरचनाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। ऐतिहासिक फांसी मंच पर भी धूल जमती दिखाई दे रही है।
उल्लेखनीय है कि नील विद्रोह के समय इसी स्थान पर चरणबद्ध तरीके से 14 विद्रोहियों को फांसी दी गई थी। उस ऐतिहासिक स्मृति को संजोने के लिए ही यहां पर्यटन केंद्र विकसित किया गया था।
इस संबंध में चंद्रकोणा-दो के बीडीओ उत्पल पाइक ने बताया कि फांसीडांगा उद्यान को दोबारा साफ-सफाई और मरम्मत कर जल्द ही खोल दिया जाएगा। इसको लेकर ग्राम पंचायत को आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता



