(वार्षिकी) 2025 में कई उतार-चढ़ावों का साक्षी बना हुगली जिला

हुगली, 30 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 हुगली जिले के लिए घटनाप्रद, और परिवर्तनशील रहा। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह साल राजनीतिक पुनर्संरचना, प्रशासनिक सख्ती, प्राकृतिक आपदाओं और विकास योजनाओं—इन सभी का साक्षी बना। जिले के शहरी क्षेत्र जैसे रिषड़ा, श्रीरामपुर, उत्तरपाड़ा, डानकुनी, चंदननगर, और ग्रामीण अंचल आरामबाग, खानाकुल, गोघाट—सभी किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहे।

जनवरी 2025: संस्कृति, पर्यटन और स्थानीय आयोजन

साल की शुरुआत सांस्कृतिक गतिविधियों से हुई। 33वां रिसड़ा मिलन मेला जनवरी की शुरुआत में आयोजित हुआ, जिसका उद्घाटन श्रीरामपुर के सांसद कल्याण बनर्जी ने किया। पुस्तक मेला, सांस्कृतिक मंच और स्थानीय व्यापारियों की भागीदारी ने इसे जिले के प्रमुख आयोजनों में शामिल किया।

इसी महीने हुगली नदी को केंद्र में रखकर पर्यटन योजनाओं पर चर्चा तेज़ हुई। एशिया की प्रमुख रिवर क्रूज़ कंपनी पांडॉ द्वारा कोलकाता-हुगली रूट पर क्रूज़ सेवा की घोषणा को जिले की विरासत के लिए अहम माना गया।

फरवरी–मार्च 2025: शिक्षा, सुरक्षा और प्रशासन

फरवरी में चांपदानी के एक स्कूल में छात्र की मौत ने शिक्षा व्यवस्था में सुरक्षा पर सवाल खड़े किए। मार्च में सड़क सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू किया गया, जिसका असर श्रीरामपुर-उत्तरपाड़ा बेल्ट में दिखा।

ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत और प्रशासनिक बैठकों के ज़रिये बाढ़-पूर्व तैयारी और राहत ढांचे पर ज़ोर दिया गया।

अप्रैल 2025: त्योहार और आपात घटनाएं

अप्रैल में रामनवमी शोभायात्रा के दौरान रिषड़ा-श्रीरामपुर क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा रही।

मई–जून 2025: विरासत, अवसंरचना और राजनीति

मई में हुगली नदी के घाटों के जीर्णोद्धार, फ्लोटिंग कैफे और म्यूज़ियम की योजनाओं पर चर्चा हुई।

जून में भाजपा कार्यकर्ता की मौत (गोघाट) को लेकर राजनीतिक टकराव सामने आया।

जुलाई–अगस्त 2025: बाढ़, हिंसा और कानून-व्यवस्था

जुलाई-अगस्त हुगली के लिए सबसे कठिन रहे।

डीवीसी द्वारा पानी छोड़े जाने से आरामबाग, खानाकुल, हरिपाल में भीषण बाढ़ आई। लगभग दो लाख लोग प्रभावित हुए।

अगस्त में टीएमसी पंचायत स्तर के नेता की हत्या और नर्सिंग होम में नर्स की संदिग्ध मौत ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े किए।

श्रीरामपुर में 11 वर्षीय बच्चे की डूबने से मौत ने स्थानीय प्रशासन को नदी-सुरक्षा पर ध्यान देने को मजबूर किया।

सितंबर 2025: उद्योग, संगठन और हादसे

सितंबर में रिषड़ा की एक कपड़ा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ, जिसमें चार मजदूर झुलस गए।

इसी महीने तृणमूल कांग्रेस ने श्रीरामपुर संगठनात्मक जिले के लिए नए युवा और ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा की, जिसे 2026 विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा गया।

अक्टूबर 2025: उत्सव और प्रशासनिक परिवर्तन

अक्टूबर में चंदननगर में आंधी से पूजा पंडाल गिरने की घटना में कई लोग घायल हुए।

श्रीरामपुर के बंगिहाटी में ट्रैफिक पुलिसकर्मी पर हमले की घटना ने राजनीतिक दबंगई पर बहस छेड़ दी।

इसी महीने खुर्शीद अली कादरी ने हुगली के नए जिलाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला।

नवंबर 2025: अपराध और शिक्षा

नवंबर में तारकेश्वर में चार साल की बच्ची के अपहरण व यौन उत्पीड़न की घटना ने पूरे जिले को झकझोर दिया।

सकारात्मक खबर के तौर पर मोगरा में राज्य का पहला निजी वेटरनरी कॉलेज शुरू हुआ।

श्रीरामपुर-रिसड़ा-उत्तरपाड़ा इलाके में आर्म्स एक्ट सहित कई मामलों में गिरफ्तारियां हुईं।

दिसंबर 2025: मतदाता सूची विवाद और ठंड

दिसंबर हुगली के लिए राजनीतिक रूप से सबसे तनावपूर्ण रहा।

मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में जिले से लगभग 3.18 लाख नाम हटाए जाने पर बड़ा विवाद हुआ।

चुंचुड़ा-मोगरा, डानकुनी और अन्य क्षेत्रों में सुनानी केंद्रों पर विरोध, विधायकों का हस्तक्षेप और चुनाव आयोग की सख्ती—सब कुछ चर्चा में रहा।

डानकुनी में एक टीएमसी पार्षद का नाम “मृत” दिखाए जाने का मामला भी उठा।

महीने के अंत में भीषण शीतलहर पड़ी। उत्तरपाड़ा-श्रीरामपुर में कंबल वितरण और राहत कार्य हुए, जबकि आरामबाग-खानाकुल के किसान बाढ़ के नुकसान से उबरने की कोशिश करते रहे।

वर्ष 2025 हुगली जिले के लिए संघर्ष और संभावनाओं का वर्ष रहा।

जहां एक ओर उद्योग, लॉजिस्टिक्स कॉरिडोर, पर्यटन और शिक्षा के नए द्वार खुले, वहीं दूसरी ओर बाढ़, अपराध, राजनीतिक टकराव और चुनावी विवादों ने प्रशासन की परीक्षा ली।

स्पष्ट है कि 2026 के विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में हुगली राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण जिला बन चुका है और आने वाला वर्ष इसके भविष्य की दिशा तय करने वाला होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय