आईआईटी खड़गपुर और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत के बीच महत्वपूर्ण समझौता

खड़गपुर/राजस्थान, 05 दिसंबर (हि. स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर और भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत (जीएसआई) ने भू-विज्ञान से जुड़े उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान को नई दिशा देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। जयपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “अतीत का उत्खनन, भविष्य का निर्माण : जीएसआई के 175 वर्ष” के उद्घाटन समारोह में यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान आईआईटी खड़गपुर के भू-विज्ञान एवं भू-भौतिकी विभाग के प्रोफेसर मनीष ए. ममतानी और जीएसआई के महानिदेशक असीत साहा के बीच हुआ।

इस अवसर पर औपचारिक हस्ताक्षर आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने किए। कार्यक्रम में विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर सैबल गुप्ता तथा अनुसंधान एवं विकास के सहयोगी अधिष्ठाता प्रोफेसर अभिजीत मुखर्जी भी मौजूद रहे।

कार्यक्रम की गरिमा उस समय और बढ़ गई, जब केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी, खनन मंत्रालय के सचिव पियूष गोयल (आईएएस), राजस्थान के खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकांत (आईएएस) तथा जीएसआई पश्चिमी क्षेत्र, जयपुर के अतिरिक्त महानिदेशक एवं विभागाध्यक्ष विजय विष्णुपंत मुगल समारोह में उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस शैक्षणिक-वैज्ञानिक साझेदारी के राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित किया।

समझौते के अंतर्गत महत्वपूर्ण खनिजों की खोज-अन्वेषण, भू-तापीय ऊर्जा अध्ययन, ग्रह-भूविज्ञान, पृथ्वी पर प्रारंभिक जीवन के अध्ययन तथा प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम मूल्यांकन जैसे कई उभरते अनुसंधान क्षेत्रों में सहयोग किया जाएगा। इस साझेदारी के माध्यम से संयुक्त शोध परियोजनाएं, आंकड़ा साझाकरण, फील्ड अध्ययन, तकनीकी प्रशिक्षण और शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की वैज्ञानिक क्षमता और संसाधन प्रबंधन रणनीतियां और मजबूत होंगी।

आईआईटी खड़गपुर और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत को आशा है कि यह दीर्घकालिक सहयोग देश के भू-विज्ञान क्षेत्र में नई संभावनाएं खोलेगा और संसाधन विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का आधार बनेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता