2026 में साइबर अपराधियों से केवल ‘जीरो ट्रस्ट’ ही करेगा सुरक्षा : डॉ.दिग्विजय
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- Dec 31, 2025
जौनपुर,31दिसंबर(हि.स.)। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के साइबर क्लब के नोडल अधिकारी डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर की मानें तो साइबर दुनिया में ‘जीरो ट्रस्ट मॉडल’ अपनाए बिना अब सुरक्षा संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2026 साइबर सुरक्षा की दृष्टि से एक ऐतिहासिक और चुनौतीपूर्ण वर्ष साबित होने वाला है। नए साल में साइबर अपराधियों से प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए आमजन को मानसिक और तकनीकी रूप से तैयार होना होगा।
डॉ. राठौर ने कहा कि आभासी दुनिया में किसी भी व्यक्ति, कॉल, लिंक या संदेश पर बिना सत्यापन के विश्वास करना सबसे बड़ी भूल है। जब तक लोग डिजिटल संदेशों पर अंधविश्वास करना बंद नहीं करेंगे, तब तक साइबर अपराधों से पूरी तरह बचाव संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी डर और विश्वास इन दो भावनाओं को हथियार बनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ‘साइबर अरेस्ट’ जैसे नए-नए तरीक़े इसका जीवंत उदाहरण हैं, जिनके माध्यम से लोग भय के कारण तुरंत अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं।
डॉ. राठौर ने बताया कि आज के साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे वे बड़ी आसानी से लोगों का विश्वास जीत लेते हैं। 2026 में एआई का इस्तेमाल कर साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर साइबर अपराध कर सकते हैं। ओटीपी मांगना पुराना पैटर्न हो चुका है और नए पैटर्न में मोबाइल हैक कर ओटीपी अपने आप हासिल कर ले रहे। ऐसे में केवल सतर्कता ही नहीं, बल्कि तकनीकी समझ और निरंतर जागरूकता भी अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराधों से लड़ाई केवल तकनीक या केवल जागरूकता से नहीं, बल्कि दोनों के समन्वय से ही जीती जा सकती है। समय की मांग है कि प्रत्येक नागरिक ‘पहले सत्यापन, फिर विश्वास’ की नीति अपनाए।
उन्होंने बताया कि साइबर सुरक्षा के लिए कुछ सावधानियां हैं, जिस हरेक को अपनाना चाहिए। अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल को लॉक करके रखें। ईमेल का पासवर्ड मजबूत बनाएं और समय-समय पर बदलें। मोबाइल पर आने वाले किसी भी संदेश को ध्यान से पढ़ें और किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। कोई फोन करके ओटीपी मांगे तो कभी न दें। एपीके फाइल डाउनलोड न करें। अनजान नंबर से आने वाली वीडियो कॉल कभी रिसीव न करें। सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। अपने व्हाट्सएप की प्रोफाइल फोटो केवल अपनों तक सीमित रखें। अपना फोन नंबर और ईमेल आईडी सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रदर्शित न करें। अपनी गतिविधियां तुरंत सोशल मीडिया पर साझा न करें। मोबाइल और कंप्यूटर में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर जरूर रखें। साइबर कैफे के कंप्यूटर पर अपनी क्रेडिट डेबिट कार्ड से पेमेंट ना करें। ट्रूकॉलर जैसे ऐप अपने मोबाइल में इंस्टॉल करके रखें आने वाले कॉल से एक स्तर तक बचाव होता है। दूसरे के मोबाइल में अपनी ईमेल आईडी लॉगिन ना करें।
हिन्दुस्थान समाचार / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव



