सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा: झारखंड में लघु खनिज प्रबंधन में हुई भारी अनियमितताएं

रांची, 11 दिसंबर (हि.स.)। राज्‍य की प्रधान महालेखाकार इन्दु अग्रवाल ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर झारखंड में लघु खनिजों के प्रबंधन को लेकर चौंकाने वाली अनियमितताएं उजागर की हैं। प्रधान महालेखाकार के अनुसार, बालू घाटों के संचालन, पत्थर खदानों के पट्टों की स्वीकृति और नीलामी में भारी गड़बड़ियां हुईं, जिससे राज्य को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।

अग्रवाल ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में बताया कि सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि राज्‍य में कई खनन पट्टे वन भूमि पर अवैध तरीके से दे दिए गए, जबकि नीलामी प्रक्रिया बेहद धीमी रही और सिर्फ 3.77 प्रतिशत ब्लॉकों की ही नीलामी हो सकी। राजस्व 2017-18 के 1,082 करोड़ से घटकर 2021-22 में 697 करोड़ रुपये रह गया।

साहिबगंज में अधिकार से बाहर जाकर दिया गया भूमि पट्टा

उन्‍होंने बताया कि सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड के साहिबगंज, चतरा और पलामू जिलों में पट्टा आवंटन में गंभीर गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि साहिबगंज में उपायुक्त ने अपने अधिकार क्षेत्र से अधिक 4.74 हेक्टेयर भूमि पर पट्टा स्वीकृत कर दिया, जिसे ई-नीलामी के लिए जाना चाहिए था। चतरा और पलामू में तो वन भूमि को गैर-मजरुआ परती दिखाकर आठ पट्टे दे दिए गए। यह सीधे तौर पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन है।

बालू घाट संचालन में बड़ी चूक: 608 में से सिर्फ 21 घाट ही चालू

झारखंड राज्य में बालू घाटों के संचालन को लेकर सीएजी ने बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) को सौंपे गए 608 बालू घाटों में से केवल 21 का ही संचालन किया जा सका।

रिपोर्ट में कहा गया है कि माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय स्वीकृतियों में देरी के कारण 9,782 एकड़ क्षेत्र के 368 घाट वर्षों तक बंद पड़े रहे। इस निष्क्रियता के कारण सरकार को 70.92 करोड़ रुपये के राजस्व से हाथ धोना पड़ा। इसके अलावा 2019–22 के दौरान बालू से संबंधित स्वामित्व राशि में 82 लाख से 7.61 करोड़ तक की गडबडियां भी पाई गईं।

पट्टाधारियों ने तय सीमा से 33.21 लाख घनमीटर अधिक लघु खनिजों का किया खनन

प्रधान महालेखाकार ने कहा कि झारखंड में अवैध खनन पर प्रशासनिक ढिलाई एक बार फिर सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चार जिलों के 26 पट्टाधारियों ने तय सीमा से 33.21 लाख घनमीटर अधिक लघु खनिजों का खनन किया, जिसका जुर्माना 205.21 करोड़ बनता था। लेकिन जिला खनन कार्यालयों ने न तो जुर्माना लगाया और न ही वसूली की। इसी तरह 30 मामलों में 27.53 करोड़ और 15 मामलों में 2.23 करोड़ की वसूली नहीं की गई, जिससे करोड़ों रुपये का राजस्व का नुकसान हुआ।

सीएजी की रिपोर्ट में पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया में भी गंभीर खामियां उजागर की गई हैं। आवेदकों ने जाली प्रमाण-पत्र लगाकर बड़ी भूमि को छोटे श्रेणी में दिखा दिया, जिससे उन्हें गलत वर्ग में पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई।

इन गलत मंजूरियों के आधार पर पंजीकृत पट्टाधारियों ने वर्ष 2022-23 और 2023-24 के बीच 6.35 लाख घनमीटर पत्थर का अवैध उत्खनन किया, जिसका मूल्य लगभग 19.88 करोड़ है। खदानों में सुरक्षा अवरोध, पौधारोपण, वायु-ध्वनि निगरानी जैसे पर्यावरणीय उपायों को भी अधिकांश खदानों में नजरअंदाज किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे