बोकारो, 10 दिसंबर (हि.स.)। उपायुक्त अजय नाथ झा ने बुधवार को पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने कहा कि “मांझी बाबा के बिना किसी भी संथाल गांव की परिकल्पना हो ही नहीं सकती।
उन्होंने स्पष्ट किया कि संथाल समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संरचना में मांझी बाबा की केंद्रीय भूमिका होती है।उपायुक्त ने जानकारी दी कि जिले में लगभग 125 संथाल गांव हैं, जहां पंचायती राज व्यवस्था के तहत गांवों में मुखिया होते हैं, लेकिन इसके समानांतर पारंपरिक संरचना के तहत मांझी बाबा, जोग मांझी, नायके, भगलोन और गुड़ैत जैसी परंपरागत पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मांझी बाबा गांव के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन, धार्मिक कृत्यों और सामुदायिक अनुशासन की व्यवस्था संभालते हैं, जबकि जोग मांझी घर-घर सूचना देने, नायके पूजा-पाठ कराने और भगलोन प्रवक्ता के रूप में निर्णयों से अवगत कराने का कार्य करते हैं।उपायुक्त ने बताया कि ललपनिया क्षेत्र के कई गांवों में फेनीराम सोरेन, मंझला मुर्मू, सुंदर लाल मरांडी, मटुक कुमार हांसदा और बाबुचंद मांझी जैसे लोग मांझी बाबा की भूमिका निभा रहे हैं।बैठक में उपायुक्त ने कल्याण विभाग के वरीय प्रभारी पदाधिकारी सह अपर समाहर्ता मो. मुमताज अंसारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, अंचलाधिकारी और प्रखंड कल्याण पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी संथाल गांवों का सर्वे कराते हुए मांझी बाबा, जोग मांझी, भगलोन, गुड़ैत आदि परंपरागत पदाधिकारियों की पहचान कर समेकित रिपोर्ट जिला को सौंपें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के संकल्प संख्या 4654 (22.11.2018) के आलोक में पूर्व में भेजे गए शून्य प्रतिवेदन को सर्वे रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद संशोधित कर शीघ्र राज्य सरकार को भेजा जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिल कुमार



