(वार्षिकी-2025) गंगा संरक्षण से लेकर नदी जोड़ो परियोजनाओं तक, जल शक्ति मंत्रालय ने जल प्रबंधन को दी नई दिशा
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- Dec 30, 2025
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (हि.स.)। इस साल केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने नमामि गंगे मिशन के तहत 39 प्रोजेक्ट पूरे कर देश में गंगा सरक्षण पर विशेष योगदान दिया है। साथ ही मंत्रालय ने देश में चल रहे जल शक्ति अभियान में 25 लाख जल संरक्षण यूनिट स्थापित कर केन-बेतवा और पोलावरम जैसी बड़ी नदी जोड़ो परियोजनाओं में तेज प्रगति की। मंत्रालय की इन कोशिशों से गंगा की सफाई, ग्राउंडवाटर रिचार्ज, बाढ़ पूर्वानुमान और सिंचाई सुविधाओं में काफी सुधार हुआ।
इस साल मंत्रालय ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) में 39 प्रोजेक्ट पूरे किए। इससे इस विभाग में चल रहे प्रोजेक्ट्स की संख्या 344 हो गई। साथ ही 34 नए प्रोजेक्ट्स को 2,368 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली, कुल स्वीकृत प्रोजेक्ट्स अब 513 हो गए जिनकी लागत 42,019 करोड़ रुपये है। सीवेज ट्रीटमेंट के क्षेत्र में 15 प्रोजेक्ट्स से 329 एमएलडी नई क्षमता बनी और 11 प्रोजेक्ट्स से 359 एमएलडी क्षमता पूरी हुई। अब तक गंगा बेसिन में 216 सीवेज प्रोजेक्ट्स से 6,560 एमएलडी ट्रीटमेंट और 5,220 किलोमीटर सीवर नेटवर्क तैयार हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल भर में 8 बड़े सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया, जिनकी कुल लागत 2,763 करोड़ रुपये थी। इनमें पटना के मोकामा, फतुहा, बेगूसराय, बख्तियारपुर, भागलपुर, दीघा, कांकरबाग और मुंगेर जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। साथ ही 8 नए प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखी गई, जिनकी लागत 1,347 करोड़ रुपये है। इनमें मोतिहारी, रक्सौल, बक्सर, आरा, सुपौल, जमुई, दौदनगर और कटिहार में प्रोजेक्ट हैं। कानपुर के जजमाऊ टैनरी क्लस्टर में 20 एमएलडी सीईटीपी पूरी हुई, जिसमें पहली बार ऑडर कंट्रोल सिस्टम लगाया गया।
मंत्रालय ने इस साल अविरल गंगा के लिए ई-फ्लो असेसमेंट के तीन बड़े प्रोजेक्ट्स मंजूर किए । इसमें 50 लाख से ज्यादा देशी मछलियां (रोहू, कतला, म्रिगल, महसीर, हिल्सा जैसी) छोड़ी गईं। गंगा डॉल्फिन के लिए 22 नदियों में 7,680 किलोमीटर सर्वे हुआ, जिसमें 2,510 डॉल्फिन दिखीं और 8 को बचाया गया। भारत की पहली डॉल्फिन रेस्क्यू एम्बुलेंस भी तैयार की गई। फ्लडप्लेन वेटलैंड्स का मैपिंग हुई, कई जगहों पर कंजर्वेशन शुरू हुआ। अर्थ गंगा के तहत नेचुरल फार्मिंग, डॉल्फिन सफारी, इको-टूरिज्म और होमस्टे को बढ़ावा मिला। साथ ही मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में प्रयागराज में हुए महाकुंभ में बड़े स्तर पर सफाई और जागरूकता अभियान चलाया जिसमें 1,500 गंगा सेवा दूतों ने सफाई की।
मंत्रालय ने इस साल के मध्य में गंगा पल्स पब्लिक पोर्टल लॉन्च किया, जिससे एसटीपी का रीयल-टाइम डेटा का पता चलता है। मंत्रालय द्वारा देश भर में ड्रेन डैशबोर्ड और लीडार मैपिंग कराने से नदियों के जल प्रवाह की निगरानी आसान हो गई और कई शहरों में अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान्स किए गए।
केंद्र सरकार ने जल शक्ति अभियान के तहत इस साल के मध्य में कैच द रेन को विश्व जल दिवस पर हरियाणा के पंचकूला में लॉन्च किया। इस अभियान की थीम 'जल संचय जल भागीदारी-जन जागरूकता की ओर' थी। अभियान में पानी संरक्षण, रेनवाटर हार्वेस्टिंग, पुरानी जल संरचनाओं की गिनती, जल शक्ति केंद्र और वृक्षारोपण पर फोकस किया गया। अभियान में 148 ग्राउंडवाटर तनाव वाले जिलों पर खास ध्यान दिया गया। अभियान में 640 जिलों ने वैज्ञानिक जल संरक्षण प्लान बनाए। जल संचय जन भागीदारी से करोड़ों रिचार्ज संरचनाएं बनीं। इसके बाद देश में जल शक्ति केंद्रों की संख्या 712 हो गई।
मंत्रालय ने देश की महात्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजनाओं के तहत केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट में दौड़हन डैम का प्रारंभिक कार्य शुरू कराया। इस प्रोजेक्ट से 10.62 लाख हेक्टेयर सिंचाई, 62 लाख लोगों को पीने का पानी, 103 मेगावाट हाइड्रो और 27 मेगावाट सोलर पावर मिलेगा। मॉडिफाइड पार्बती-कालिसिंध-चंबल लिंक में दोनों राज्यों ने एमओए साइन किया, डीपीआर तैयार किया गया। साथ ही गोदावरी-कावेरी लिंक में सहमति बनाने की कोशिश जारी रही। कोसी-मेची इंट्रा-स्टेट लिंक में वर्किंग डीपीआर पर काम चला।
पोलावरम नेशनल प्रोजेक्ट में प्रगति तेज हुई। डायफ्राम वॉल और कोफरडैम का काम चला, कुल प्रगति 88 प्रतिशत तक पहुंची। इसके लिए केंद्र सरकार ने 20,658 करोड़ रुपये से ज्यादा रिलीज किए। सेंट्रल वाटर कमीशन ने 350 स्टेशनों पर फोरकास्ट जारी किए, जिसकी सटीकता 95 प्रतिशत से ज्यादा रही। इसके यूट्यूब चैनल पर बाढ़ अलर्ट शुरू किए गए। इनुंडेशन फोरकास्टिंग कई बेसिन में लागू की गई। डैम सेफ्टी में ड्रिप फेज-2 और 3 में 736 डैम्स की मरम्मत की गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर



