जम्मू-कश्मीर 2025: विनाश से पर्यटन की उम्मीद तक
- Admin Admin
- Dec 31, 2025
जम्मू,, 31 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 जम्मू-कश्मीर के लिए संघर्ष और त्रासदी का वर्ष साबित हुआ। एक ओर घाटी में पहलगाम के बायसारण की घटना ने पूरे देश को हिला दिया। इसमें कई पर्यटकों को आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया। यह दर्दनाक हादसा न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे राष्ट्र को याद दिलाता है कि आतंकवाद कितना अप्रत्याशित और विनाशकारी हो सकता है।
इसके तुरंत बाद आप्रेशन सिंदूर जैसे सुरक्षात्मक अभियान ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। इस आप्रेशन ने आतंक के पनाहदाता पाकिस्तान की कमर तोड़ दी और उसे घुटनों पर ला दिया। यह घटनाक्रम दिखाता है कि इस क्षेत्र में सुरक्षा और मानवीय प्रयास कितने आवश्यक हैं।
साल 2025 में आई बाढ़ ने भी जम्मू-कश्मीर को तहस-नहस कर दिया। हजारों लोग अपने आशियानों को छोड़ने के लिए मजबूर हुए। चिषौती में बादल फटने जैसी आपदाओं ने प्रदेश को अंदर तक हिला दिया। कई लोग आज भी लापता हैं और परिवार अपनों की तलाश में परेशान हैं। यह वर्ष विनाश और त्रासदी का प्रतीक बन गया, जिसने सामाजिक और आर्थिक संरचना को चुनौती दी।
लेकिन हर अंधकार के बाद उजाला आता है। 2025 के अंत में हुई बर्फबारी ने घाटी में पर्यटन के नए अवसरों की उम्मीद जगाई। पहलगाम, गुलमर्ग, सोनमर्ग और अन्य पर्यटन स्थलों पर बर्फ की चादर ने न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाया बल्कि पर्यटन व्यवसाय में भी नई जान फूंक दी। सैलानियों की आवाजाही बढ़ी और स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ मिला।
साल 2025 ने जम्मू-कश्मीर को विनाश और चुनौती के साथ-साथ नए अवसर और उम्मीद भी दी। यह हमें सिखाता है कि सुरक्षा, प्रशासनिक सतर्कता और पर्यावरणीय तैयारी कितनी महत्वपूर्ण हैं। प्राकृतिक सौंदर्य न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है बल्कि आर्थिक और सामाजिक उन्नति का मार्ग भी खोलता है।
जम्मू-कश्मीर के लिए 2025 की सबसे बड़ी सीख यही है कि विपत्ति चाहे जितनी भयंकर क्यों न हो, उम्मीद और विकास का अवसर हमेशा मौजूद रहता है। घाटी के लोग और प्रशासन मिलकर आने वाले वर्षों में बेहतर सुरक्षा, बेहतर पर्यटन और बेहतर जीवन सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अश्वनी गुप्ता



