किशोर न्याय एवं बाल संरक्षण को लेकर कार्यशाला में डीआईजी ने दिये टिप्स

बांदा, 30 दिसंबर (हि.स.)।

उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में किशोर न्याय प्रणाली को सुदृढ़ करने एवं बाल संरक्षण से जुड़े कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के उद्देश्य से मंगलवार को महर्षि बामदेव सभागार, बांदा में एक दिवसीय किशोर न्याय एवं बाल संरक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता पुलिस उपमहानिरीक्षक चित्रकूटधाम परिक्षेत्र बांदा राजेश एस. ने की, जबकि जिलाधिकारी बांदा जे. रीभा एवं पुलिस अधीक्षक बांदा पलाश बंसल विशेष रूप से उपस्थित रहे।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम-2015 के प्रावधानों, बाल संरक्षण से संबंधित योजनाओं, प्रक्रियाओं तथा विभिन्न विभागों की भूमिकाओं के प्रति अधिकारियों को जागरूक करना तथा बालकों को समयबद्ध, संवेदनशील एवं विधि-सम्मत सहायता प्रदान करना रहा।

कार्यशाला में बांदा परिक्षेत्र के समस्त अपर पुलिस अधीक्षक, नोडल अधिकारी, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य, जिला प्रोवेशन अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, जिला बाल कल्याण अधिकारी, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 प्रभारी, वन स्टॉप सेंटर केन्द्र प्रशासक, विशेष किशोर पुलिस इकाई प्रभारी, थाना एएचटी प्रभारी, समस्त थानों पर नामित बाल कल्याण पुलिस अधिकारी एवं मिशन शक्ति केन्द्र प्रभारी सहित अनेक विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

कार्यशाला में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि किशोर न्याय एवं बाल संरक्षण से जुड़े मामलों में पुलिस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देशित किया गया कि वे बच्चों से संबंधित प्रकरणों में मानवीय, संवेदनशील एवं कानून के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित करें तथा अधिनियम में निर्धारित प्रक्रियाओं का अक्षरशः पालन करें।

किशोर न्याय अधिनियम-2015 के अंतर्गत विधि के साथ संघर्षरत बालकों एवं देखरेख व संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही विवेचकों की भूमिका, समयबद्ध कार्यवाही, प्रक्रिया संबंधी सावधानियों एवं अंतर-विभागीय समन्वय को और अधिक मजबूत करने पर बल दिया गया।

इसके अतिरिक्त मिशन शक्ति केन्द्र की अवधारणा, विशेष किशोर पुलिस इकाई की बैठकों की रूपरेखा, पॉक्सो अधिनियम-2012, गुमशुदा बच्चों के मामलों में मानक संचालन प्रक्रिया, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 तथा ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के अंतर्गत किए जा रहे प्रयासों की भी विस्तृत जानकारी दी गई।

कार्यशाला के दौरान बाल संरक्षण से जुड़ी व्यावहारिक समस्याओं पर चर्चा करते हुए उनके समाधान पर भी विचार-विमर्श किया गया। उपस्थित प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और सुझाव प्रस्तुत किए।

कार्यशाला के समापन अवसर पर पुलिस उपमहानिरीक्षक श्री राजेश एस. द्वारा चित्रकूटधाम परिक्षेत्र के विभिन्न जनपदों में बाल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारीगण एवं कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल सिंह