कांग्रेस की रैली में दिखा नर्सों का दर्द, सरकार जश्न में मशगूल : विपिन परमार

धर्मशाला, 11 दिसंबर (हि.स.)।

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने मंडी में बुधवार को कांग्रेस सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के मौके3 पर आयोजित कार्यक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह जश्न नहीं, बल्कि नाकामी, झूठी घोषणाओं और जनता पर डाले गए बोझ का जुलूस है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि रैली में सबसे मार्मिक दृश्य वह था जब बेरोजगार नर्सें हाथों में तख्तियां लेकर अपना भविष्य अंधकार में बताती रहीं, और कांग्रेस सरकार उनके दर्द को ढोल-नगाड़ों के शोर में दबाती रही। परमार ने कहा कि जब नर्सें चीख-चीखकर न्याय मांग रही हों और सरकार जश्न मना रही हो, तो समझ लीजिए सरकार का चरित्र जनता-विरोधी और संवेदनहीन है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को बताना चाहिए कि जश्न किस उपलब्धि का है, क्योंकि तीन वर्ष में उपलब्धि का नाम तक नहीं मिला। परमार ने कहा कि क्या यह 40 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ाकर जनता की कमर तोड़ने का जश्न है। विकास को पूरी तरह ठप कर देने का जश्न है। स्कूल, स्वास्थ्य संस्थान और योजनाएं बंद करने का उत्सव है क्या हर घर में घुसी महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी का जश्न है। किसानों, बागवानों और महिलाओं की बढ़ती मुश्किलों का जश्न है। भर्ती घोटालों और भ्रष्टाचार की नई ऊँचाइयों का जश्न है या फिर 10 में 10 गारंटियां झूठ साबित करने का जश्न है।

उन्होंने कहा कि तीन साल में कांग्रेस सरकार ने योजनाएं बंद कीं, नौकरियां रोकीं, विकास रोका और जनता को महंगाई की आग में झोंक दिया—फिर किस बात का जश्न।

विपिन परमार ने कहा कि जो जिला प्राकृतिक आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुआ, वही जिला कांग्रेस सरकार के जश्न का मैदान बना दिया गया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई, कई परिवार बेघर हुए, बच्चे अनाथ हुए—और सुक्खू सरकार उन्हीं जख्मों के बीच मंच, लाइटें और तामझाम के साथ जश्न मना रही है। यह संवेदनहीनता की नहीं, क्रूरता की पराकाष्ठा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आपदा राहत की राशि कहां खर्च हो रही है, और क्या रैली की व्यवस्थाओं में उसका उपयोग तो नहीं किया गया।

विपिन परमार ने कहा कि मंडी में जो आयोजन हुआ, वह जनता की उम्मीदों का मंच नहीं, बल्कि कांग्रेस की असफलताओं पर पर्दा डालने की हड़बड़ी में तैयार किया गया प्रदर्शन था।उन्होंने कहा कि यह जश्न नहीं, जनता की पीड़ा पर बजता हुआ ढोल है।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया