कृषि विश्वविद्यालय में रक्षा सेवा अधिकारी विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न

धर्मशाला, 12 दिसंबर (हि.स.)। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के निदेशालय प्रसार शिक्षा द्वारा संचालित सीख, अनुशासन और सहयोग से भरी 16-सप्ताह की विशेष प्रशिक्षण यात्रा शुक्रवार को संपन्न हुई। इस कार्यक्रम में भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना के 19 अधिकारियों ने भाग लिया। 25 अगस्त 2025 से आरंभ हुआ दीर्घकालिक प्रशिक्षण निदेशालय पुनर्वास महानिदेशक (डीजीआर), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित था, जिसमें वैज्ञानिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल का समन्वय किया गया। कार्यक्रम ने विश्वविद्यालय की इस प्रतिबद्धता को रेखांकित किया कि वह देश के रक्षा कर्मियों को ज्ञान-साझा एवं क्षमता-विकास के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

समारोह का समापन सत्र भावनात्मक और गरिमामय रहा।

विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. ए.के. पांडा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि होल्टा कैंप से लेफ्टिनेंट कर्नल गुरप्रीत सिंह विशेष अतिथि रहे। मंच पर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. विनोद शर्मा और प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. लव भूषण ने भी वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ उपस्थिति दर्ज करवाई। अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डॉ. पांडा ने प्रतिभागी अधिकारियों के समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि कृषि और रक्षा दोनों ही राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए हैं, चाहे वह खाद्य सुरक्षा हो, पर्यावरण संरक्षण या सीमाओं की सुरक्षा। विशेष अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल गुरप्रीत सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए गए वैज्ञानिक रूप से समृद्ध और सुव्यवस्थित प्रशिक्षण की प्रशंसा करते हुए इसे प्रतिभागियों के लिए ज्ञान-विस्तार का महत्वपूर्ण अवसर बताया।

स्वागत भाषण में डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि कैसे विभिन्न कमांड और पृष्ठभूमियों से आए ये अधिकारी शुरुआती दिनों में अलग अपेक्षाओं के साथ आए थे, लेकिन शीघ्र ही उन्होंने एक सामूहिक सीखने वाले समूह का रूप ले लिया। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. लव भूषण ने पाठ्यक्रम की गहराई, प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और विभिन्न विभागों के सामंजस्यपूर्ण सहयोग को कार्यक्रम की सफलता का आधार बताया।

कार्यक्रम को शैक्षणिक और व्यावहारिक उपयोगिता को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था। इसमें कृषिवानिकी, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन तथा बकरी पालन जैसे विषयों पर सैद्धांतिक तथा क्षेत्र-आधारित प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रतिभागियों ने कृषिवानिकी ब्लॉक, मधुमक्खी पालन इकाइयों, मशरूम उत्पादन केंद्रों तथा बकरी फार्मों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया और विषय-विशेषज्ञों से संवाद करते हुए सतत कृषि एवं आजीविका उन्नयन के विभिन्न आयामों को गहराई से समझा।

समापन समारोह का प्रमुख आकर्षण मुख्य अतिथि द्वारा प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले सभी अधिकारियों को प्रमाण-पत्र प्रदान करना था। इस अवसर पर कई प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और कहा कि वे केवल प्रमाण-पत्र लेकर नहीं बल्कि नई तकनीकों, मूल्यवान जानकारी और पालमपुर में बिताए यादगार पलों के साथ लौट रहे हैं। प्रशिक्षण ने कई अधिकारियों के लिए भविष्य में सामुदायिक सेवा, आजीविका संवर्धन और सतत कृषि पहलों में योगदान के नए रास्ते खोले हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया