कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में छात्रों ने सीखे डीएनए टूल्स

धर्मशाला, 28 नवंबर (हि.स.)। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय के पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी और रिकॉम्बिनेंट डीएनए टेक्नोलॉजी पर दो दिवसीय कार्यशाला सफलतापूर्वक आयोजित की गई। भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के अखिल भारतीय चुनौतीपूर्ण और उभरती बीमारियों पर नेटवर्क परियोजना द्वारा वित्पोषित इस ट्रेनिंग में विश्वविद्यालय के अलग-अलग महाविद्यालयों के स्नातक स्तर के छात्रों को आधुनिक जेनेटिक टूल्स का व्यावहारिक अनुभव करवाया गया।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक कुमार पांडा ने कहा कि इस तरह का वैज्ञानिक प्रशिक्षण हमारे छात्रों को आने वाले कल की चुनौतियों का सामना करने और नवाचार और गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए तैयार करती हैं।

इस कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता मुख्य अतिथि निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. विनोद शर्मा द्वारा की गई। उन्होंने छात्रों को उनकी शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत में ही उन्नत पुनः संयोजक डीएनए टेक्नोलॉजी से परिचित कराने के महत्व पर ज़ोर दिया और कहा कि ऐसी पहल वैज्ञानिक समझ को बढ़ाती हैं और उभरते जैव प्रौद्योगिकी रोजगार के लिए रास्ते खोलती हैं।

पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आदर्श ने कई कॉलेजों के छात्रों को एक सांझे मंच पर लाने और आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा के लिए अच्छा माहौल बनाने के लिए कार्यशाला समन्वयक डॉ. सुभाष वर्मा की कोशिशों की सराहना की। डॉ. वर्मा ने बताया कि प्रशिक्षुओं को न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रैक्शन, डीएनए क्वालिटी असेसमेंट, पीसीआर, जैल इलेक्ट्रोफोरेसिस, एम्प्लिकॉन प्यूरिफिकेशन, रिस्ट्रिक्शन डाइजेशन, मॉलिक्यूलर क्लोनिंग, कॉम्पिटेंट सेल्स की तैयारी और परिवर्तन के बारे में बताया गया।

उन्होंने बताया कि ये मूलभूत तकनीकें उन्नत निदान, चिकित्सा और अनुसंधान का आधार बनती हैं। अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक स्त्र द्वारा कार्यक्रम को ओर भी रोचक बनाया गया। कार्यक्रम में डॉ. मोनिका भारद्वाज सहित विभागाध्यक्ष के अतिरिक्त अन्य वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया