कांगड़ा में डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई

धर्मशाला, 27 दिसंबर (हि.स.)। शिमला के आईजीएमसी में हुए घटनाक्रम के बाद शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी डाक्टर्स की हड़ताल के चलते प्रदेश सहित जिला कांगड़ा में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई रही। हड़ताल के चलते मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी। बात जिला मुख्यालय जोनल अस्पताल धर्मशाला की करें तो यहां भी डाक्टर्स की हड़ताल जारी रही। हड़ताल की जानकारी न होने के चलते मरीज चेकअप के लिए पहुंच रहे थे, लेकिन या तो उन्हें वापिस लौटना पड़ा या फिर इमरजेंसी में जांच करवानी पड़ी।

गौरतलब है कि आईजीएमसी शिमला में मरीज से मारपीट के आरोप में बर्खास्त डाक्टर्स की बहाली की मांग को लेकर डाक्टर्स एसोसिएशन द्वारा शुक्रवार को मास कैजुअल लीव का आहवान किया गया था, वहीं शाम को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया था। जिसके चलते प्रदेश सहित जिला कांगड़ा के स्वास्थ्य संस्थानों में डाक्टर्स की हड़ताल के चलते ओपीडी बंद रही और मरीज परेशानी झेलते रहे।

धर्मशाला अस्पताल प्रशासन का दावा है कि जो भी मरीज आ रहे हैं उन्हें इमरजेंसी में अटेंड किया जा रहा है। ओपीडी के अलावा अन्य सेवाएं सुचारु रूप से चल रही हैं, लेकिन जब डाक्टर्स मरीज को देखेंगे ही नहीं तो अन्य सेवाओं का क्या लाभ मरीजों को मिल सकता है।

जोनल अस्पताल धर्मशाला के एसएमओ डा. सुनील भटट ने कहा कि आईजीएमसी शिमला मामले में प्रशासन ने डाक्टर को टर्मिनेट किया है, जिसके चलते मॉस कैजुअल लीव उपरांत शांत को हड़ताल को लगातार जारी रखने का निर्णय लिया गया है। प्रमुख मांग यही है कि टर्मिनेट डाक्टर को बहाल किया जाए। जो मरीज अस्पताल आ रहे हैं, उन्हें वापिस नहीं भेजा जा रहा है, बल्कि मरीजों की सुविधा के लिए इमरजेंसी में अतिरिक्त डाक्टर्स तैनात किए गए हैं। जिन लोगों को हड़ताल की जानकारी है, वे अस्पताल नहीं आ रहे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि उक्त मामले का जल्द समाधान हो और डाक्टर्स अपने काम पर वापिस लौटें।

उधर सकोह से आई ज्योति ने कहा कि बच्चों में वायरल की समस्या पेश आ रही है। जिसके चलते वह अपने बच्चे को दिखाने के लिए अस्पताल पहुंची हैं। ज्योति ने कहा कि उनके बच्चे को बीमारी में जोनल अस्पताल में उपचार से ही लाभ मिलता है।

नूरपुर की सूर्यांशी भारद्वाज जो कि धर्मशाला में शिक्षारत हैं ने कहा कि मैं सर्दी, खांसी के इलाज के लिए अस्पताल आई हूं। मुझे जानकारी नहीं थी कि डाक्टर्स हड़ताल पर हैं। सूर्यांशी ने कहा कि संस्थान से छुटटी लेकर आई हूं, अब ओपीडी बंद है तो उन्हें या तो इमरजेंसी में चेकअप करवाना पड़ेगा या फिर दो दिन बाद फिर आना पड़ेगा, छुटटी का लाभ नहीं मिल पाया।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया