एसआईआर के लिए एफिडेविट बनवाने की जद्दोजहद : कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर मतदाता,
- Admin Admin
- Dec 30, 2025
बर्दवान, 30 दिसंबर (हि.स.)। राज्य में जारी कड़ाके की ठंड के बीच एक बेहद मार्मिक तस्वीर सामने आई है। पूर्व बर्दवान जिले के काटवा महकमा अदालत के सामने सोमवार रात सड़क पर दर्जनों लोग कंबल ओढ़े बैठे नजर आए। बंद दुकानों के सामने दीवार से टिककर, खुले आसमान के नीचे ठिठुरते हुए ये लोग पूरी रात जागने को मजबूर हैं।
आखिर क्यों इस तरह रात गुजारनी पड़ रही है? यह पूछने पर पता चला कि इन लोगों के वोटर कार्ड में नाम से जुड़ी गलतियां हैं। कहीं नाम की स्पेलिंग गलत है, तो कहीं पिता के नाम में त्रुटि। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत सही दस्तावेज जमा करने के लिए इन्हें अदालत में एफिडेविट बनवाना जरूरी है। इसी एफिडेविट के लिए पुरुष और महिलाएं, सभी कोर्ट के बाहर रात से ही लाइन में बैठ रहे।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, काटवा अदालत में एक दिन में 20 से अधिक एफिडेविट नहीं बनाए जा रहे हैं। इसी वजह से लोगों को रातभर लाइन में बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। कई लोगों का कहना है कि सुबह आने पर भी नंबर नहीं मिलता, इसलिए मजबूरी में रात से ही कतार में बैठना पड़ता है। एसआईआर की सुनवाई शुरू होने के बाद से ही एफिडेविट बनवाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। दूर-दूर के इलाकों से मतदाता काटवा अदालत पहुंच रहे हैं और पूरी रात ठंड में जागकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
कई मतदाताओं के वोटर कार्ड, आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्रों में नाम की गलतियां पाई गई हैं। इन्हीं त्रुटियों को ठीक करने के लिए न्यायिक एफिडेविट की जरूरत पड़ रही है। अदालत के नियमों के अनुसार, प्रतिदिन सीमित संख्या में ही ज्यूडिशियल एफिडेविट बनाए जाते हैं, जिसके कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। कई लोगों का कहना है कि अगले एक-दो दिन में उनकी एसआईआर सुनवाई है और यदि समय पर एफिडेविट नहीं बन पाया तो उनका नाम मतदाता सूची से कट सकता है। इसी आशंका के चलते वे पूरी रात ठंड में लाइन लगाने को मजबूर हैं।
इस मामले पर कटवा बार एसोसिएशन के सचिव ने बताया कि यह समस्या पिछले कुछ दिनों से लगातार सामने आ रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब एफिडेविट के लिए एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट उपलब्ध हैं, तो फिर केवल ज्यूडिशियल एफिडेविट ही क्यों मांगा जा रहा है। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट पहले से ही काम के बोझ में दबे रहते हैं। इसके बावजूद बार एसोसिएशन की ओर से इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी, ऐसा आश्वासन उन्होंने दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय



