सरसों डेमो ने बदली किसानों की तस्वीर, कम लागत में बंपर पैदावार से बढ़ेगा मुनाफा: डीएओ
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- Dec 26, 2025
गोपालगंज, 26 दिसंबर (हि.स.)।जिले में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में कृषि विभाग के प्रयास अब धरातल पर साफ नजर आने लगे हैं। इसी कड़ी में जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार सुमन ने आज सदर प्रखंड के एकडेरवा पंचायत में संचालित सरसों प्रत्यक्षण (डेमो) का निरीक्षण किया और खेतों में जाकर किसानों से सीधे संवाद कर फसल की स्थिति का जायजा लिया।
इस दौरान किसानों में सरसों की फसल को लेकर उत्साह और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। सरसों डेमो से जुड़े किसानों ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए उन्नत बीज और संतुलित खाद के प्रयोग से फसल की बढ़वार बेहतर हुई है। खेतों में हरियाली छाई हुई है और पौधे मजबूत व स्वस्थ नजर आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि अच्छे बीज रोग-प्रतिरोधी होते हैं, जिससे कीट-रोग का प्रकोप कम रहता है और सिंचाई पर भी कम खर्च आता है। इससे कुल लागत घट रही है और मुनाफा बढ़ने की पूरी संभावना है।
डेमो के लाभुक किसानों में भानु प्रताप सिंह पिता-रामनाथ सिंह, प्रदीप कुमार सिंह पिता-जनार्दन सिंह, रामवती देवी पति-रामजीत सिंह एवं मुन्नी देवी पति-गोरखपुर सिंह शामिल हैं। इन किसानों ने अपने-अपने खेतों में लहलहाती सरसों और गेहूं की फसल दिखाते हुए कहा कि कृषि विभाग से मिले खाद और बीज ने उनकी खेती की दिशा बदल दी है। उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में इस बार फसल ज्यादा सघन और एकसमान विकसित हो रही है, जिससे उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।
इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार सुमन ने किसानों के साथ जनसंवाद करते हुए कहा कि सरसों की खेती सही तकनीक और समय पर इनपुट उपलब्ध होने से अत्यंत लाभकारी साबित हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जिले के सभी प्रखंडों में किसानों को सरसों का उन्नत बीज वितरित किया गया है। प्रति एकड़ खेत में लगभग दो किलो सरसों के बीज की आवश्यकता होती है, जिससे बेहतर पौध संख्या और समान विकास संभव हो पाता है।
डीएओ ने किसानों को खाद प्रबंधन की जानकारी देते हुए बताया कि एक एकड़ सरसों की खेती में 20 किलो नाइट्रोजन, 16 किलो फास्फोरस और 10 किलो पोटाश का प्रयोग आवश्यक है। इसके साथ 8 किलो सल्फर का उपयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए। सल्फर सरसों के दानों की गुणवत्ता सुधारने के साथ-साथ तेल की मात्रा बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने यह भी कहा कि समय पर सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और नियमित निगरानी से उत्पादन में और वृद्धि की जा सकती है। सरसों की खेती कम समय और कम लागत में अच्छी आमदनी देने वाली फसल है, इसलिए किसान इसे अन्य फसलों की तुलना में अधिक फायदेमंद मान रहे हैं। कृषि विभाग का प्रयास है कि अधिक से अधिक किसान वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर अपनी आय बढ़ाएं और आर्थिक रूप से सशक्त बनें।
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हिन्दुस्थान समाचार / Akhilanand Mishra



