वार्षिकी 2025 : यह वर्ष मध्य प्रदेश के श्रमिकों के कल्याण के लिए जाएगा जाना

भोपाल, 29 दिसंबर (हि.स.)। विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ते मध्य प्रदेश की पहचान वर्ष 2025 में अधोसंरचना, निवेश और औद्योगिक विस्तार तक सीमित नहीं रही है अपितु यह वर्ष राज्य को “श्रमिकों के कल्याण का मॉडल” बनाने की दिशा में भी याद किया जाएगा।

दरअसल खेतों से कारखानों तक, निर्माण स्थलों से औद्योगिक गलियारों तक विकास की बुनियाद के लिए पसीना बहाने वाले श्रमिक ही किसी भी राज्य की असली पूंजी होते हैं। इसी मूल भावना को केंद्र में रखते हुए डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने श्रम और श्रमिकों से जुड़ी नीतियों में मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक सुरक्षा और तकनीकी पारदर्शिता का संतुलित समावेश किया है।

उल्लेखनीय है कि आज जब देश औद्योगिक प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रहा है, तब मध्यप्रदेश में श्रम उपलब्धता की बेहतर स्थिति राज्य को निवेशकों के लिए आकर्षक बना रही है। इसका सीधा लाभ औद्योगिक विकास को मिल रहा है और अप्रत्यक्ष रूप से श्रमिकों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। यह दोतरफ़ा विकास जहाँ उद्योग भी सशक्त हो और श्रमिक भी सुरक्षित राज्य की श्रम नीति की सबसे बड़ी उपलब्धि बनकर उभरा है। इस परिवर्तनकारी यात्रा में मध्यप्रदेश श्रम कल्याण मंडल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, जिसने योजनाओं को जमीन तक पहुँचाने में सेतु का कार्य किया है।

डिजिटल पारदर्शिता से बढ़ा विश्वास

म.प्र. श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 के अंतर्गत मंडल द्वारा श्रमिकों और नियोजकों से प्राप्त होने वाले अभिदाय को ऑनलाइन करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया। एमपी ऑनलाइन के माध्यम से विकसित पोर्टल से आज 97 प्रतिशत से अधिक अभिदाय राशि ऑनलाइन प्राप्त हो रही है। इससे आज व्यापक पारदर्शिता बढ़ी है, साथ ही नियोजकों के लिए भी प्रक्रिया सरल हुई है। इसी पोर्टल पर श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी और आवेदन प्रारूप उपलब्ध होने से योजनाओं तक पहुँच आसान हुई है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में 13,238 संस्थानों में कार्यरत लगभग 8 लाख 93 हजार 193 श्रमिकों से 12 करोड़ 35 लाख 50 हजार रुपये का अभिदाय प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1 करोड़ 30 लाख रुपये अधिक है। यह आंकड़ा बताता है कि व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है और श्रमिकों का दायरा निरंतर विस्तृत हो रहा है।

हितलाभ वितरण में उल्लेखनीय वृद्धि

श्रम कल्याण मंडल की योजनाओं का वास्तविक प्रभाव हितलाभ वितरण के आँकड़ों में स्पष्ट दिखाई देता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जहाँ 11,359 हितग्राहियों को 6 करोड़ 29 लाख रुपये से अधिक की सहायता दी गई थी, वहीं इस सा की शुरुआत में ही ये संख्या बढ़कर 15,405 हितग्राही और 8 करोड़ 24 लाख रुपये से अधिक की राशि तक पहुँच गई। मात्र एक वर्ष में लगभग 1 करोड़ 95 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता श्रमिकों तक पहुँचना सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

आदर्श श्रम कल्याण केन्द्रों की दिशा में कदम

प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में सर्व सुविधा युक्त आदर्श श्रम कल्याण केन्द्र स्थापित करने के निर्देश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा दिए गए। इसके तहत भोपाल, ग्वालियर, रीवा, सतना, पीथमपुर, जबलपुर और उज्जैन में शासकीय भूमि आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। ये केन्द्र भविष्य में श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य, परामर्श, प्रशिक्षण और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र बनेंगे।

सामाजिक सुरक्षा का विस्तार

61वीं बोर्ड बैठक में अंतिम संस्कार सहायता एवं अनुग्रह सहायता योजनाओं का विस्तार करते हुए पात्र श्रमिक के परिवार—पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री और माता-पिता को भी इसका लाभ देने का निर्णय लिया गया। यह कदम श्रमिक परिवारों के लिए भावनात्मक और आर्थिक संबल बनकर सामने आया है। इसके साथ ही पात्र दिव्यांग श्रमिकों के लिए 50 हजार रुपये तक की इलेक्ट्रिक ट्रायसायकल या उपकरण प्रदान करने की योजना लोक सेवा गारंटी के अंतर्गत अधिसूचित की गई है।

खेल, कौशल और सम्मान

श्रमिकों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए सभी संभागों में श्रमिक खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें 1005 श्रमिक खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। वहीं 27 श्रम कल्याण केन्द्रों को कंप्यूटर सेट उपलब्ध कराए गए और 17 सिलाई केन्द्रों से प्रशिक्षण प्राप्त 418 महिलाओं को दक्षता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, जिससे उनके आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य में बड़े निर्णय

भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा 17 नगर निगमों में 100 बिस्तर क्षमता के श्रमिक विश्राम गृह, पाँच जिलों में नए श्रमोदय आवासीय विद्यालय और नरसिंहपुर में श्रमोदय आदर्श आईटीआई के निर्माण के निर्णय लिए गए हैं। वहीं आयुष्मान भारत योजना के तहत 13 लाख 85 हजार से अधिक निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों को अब तक 847 करोड़ रुपये से अधिक की चिकित्सा सहायता दी जा चुकी है।

इस तरह देखें तो वर्ष 2025 में मध्यप्रदेश की पहचान सिर्फ विकासशील राज्य की नहीं रही है, ये पहचान तो वास्तव में श्रमिकों के सम्मान, सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए एक संवेदनशील और दूरदर्शी राज्य के रूप में स्थापित होती दिख रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी