पुस्तक मेला में ‘आलोचना के दायरे’ के दूसरे संस्करण का लोकार्पण
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- Dec 27, 2025
प्रयागराज, 27 दिसम्बर (हि.स.)। प्रयागराज पुस्तक मेला में साहित्य भंडार द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण सह परिचर्चा में कवि, आलोचक प्रो. प्रभाकर सिंह (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) द्वारा लिखित आलोचनात्मक पुस्तक “आलोचना के दायरे“ के दूसरे संस्करण का लोकार्पण शनिवार को किया गया।
इस अवसर पर वक्ता डॉ लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ने “आलोचना के दायरे“ के परिचयात्मक विवरण देते हुए बताया कि यह किताब तीन खण्डों में विभाजित है। पहला खण्ड ’कवि और कविताई’ दूसरा ’कथा और कथेतर’ तथा तीसरा ’आलोचना और विचार’ है। पुस्तक “आलोचना के दायरे“ के विषय में वे कहते हैं कि “आलोचना के बदलते परिवेश में समय के सापेक्ष इस किताब को इस दृष्टि से देखना दिलचस्प होगा कि आलोचक समकालीन जटिलताओं से मुठभेड़ करता है या नहीं।
अगले वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डॉ अमृता ने कहा कि “प्रो. प्रभाकर सिंह कविता और आलोचना के माध्यम से भारतीय भाषाओं के लोकपक्ष पर जोर देते हैं। जब वे सौंदर्यशास्त्र पर बात बात करते हैं तो वे नारीवाद के अनेक आयामों के साथ-साथ भारतीय नारीवादी सौंदर्य की भी बात करते हैं। प्रो. प्रभाकर सिंह भारतीय नारीवाद के समीप दिखाई देते हैं।“
आलोचक प्रो. प्रभाकर सिंह अपनी किताब और अपने बारे में बताते हैं कि “इस किताब में इतिहास लेखन के सहारे आलोचनात्मक लेखों को मैंने शामिल किया है। उन्होंने कहा कि मैं अभी कविता में दो कदम और आलोचना में एक कदम चला हूँ।“ वे आगे कहते हैं कि “हर आलोचक का अपना आग्रह होता है और इसी आग्रह पर आलोचक को टिकना चाहिए तभी उसका व्यक्तित्व निखरता है।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सन्तोष भदौरिया ने कहा कि “प्रो.प्रभाकर सिंह में आलोचक की आभा और संजीवनी विद्यमान है। नामवर सिंह की पुस्तक छायावाद के बाद मैं इस पुस्तक की सराहना करता हूं।“ प्रो. भदौरिया पुस्तक के सम्बंध में छात्रों के लिए कहते हैं कि “कोई भी विद्यार्थी या शोधार्थी अगर अपनी साहित्यिक समझ सिलसिलेवार ढंग से बनाना चाहते हैं उनके लिए यह बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी।“ वे कहते हैं कि “इस पुस्तक में आलोचनात्मक विवेक विद्यमान है, इससे यह पता चलता है कि लेखक का इतिहास बोध सजग है। यह किताब विचार और संवेदना के सहमेल से बनी है जो इस पुस्तक में दिखाई पड़ती है।“
कार्यक्रम का संचालन डॉ अमरजीत राम ने किया। कार्यक्रम में डॉ शांति चौधरी, डॉ मोतीलाल, डॉ अनिल सिंह, वर्षा अग्रवाल एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर सहित विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र



