उत्तराखंड सामूहिक खेती से आबाद हो रहे बंजर खेत,1235 एकड़ पर हो रही खेती

देहरादून, 27 नवंबर (हि.स.)। सहकारिता विभाग के अंतर्गत संचालित माधो सिंह भण्डारी सहकारी समूहिक खेती योजना से न सिर्फ प्रदेश कीं अनुपयोगी भूमि पुनः उपजाऊ हो रही है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से समृद्धि कर रही है। इसके अलावा यह योजना लोगों को रिवर्स माइग्रेशन के लिये भी प्रोत्साहित कर रही है। वर्तमान में इस योजना के तहत 1235 एकड़ भूमि पर सामूहिक खेती की जा रही है और प्रदेशभर के 24 सहकारी समितियां से जुड़े लगभग 2400 किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि माधो सिंह भण्डारी सहकारी समूहिक खेती योजना प्रदेश के ग्रामीण विकास व कृषि पुनर्जागरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। यह योजना न केवल बंजर भूमि को उपजाऊ बना रही है बल्कि किसानों को संगठित कर उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रही है। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग का लक्ष्य है कि आगामी वर्षों में सामूहिक खेती के इस मॉडल को और अधिक विस्तार दिया जायेगा। जिससे पलायन प्रभावित क्षेत्रों में कृषि आधारित रोजगार को बढ़ावा मिल सके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिल सके।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में सामूहिक सहकारी खेती का सशक्त मॉडल तैयार कर पलायन से बंजर पड़े खेतों को सरसब्ज किया है। सरकार ने माधो सिंह भण्डारी सहकारी समूहिक खेती योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में बंजर खेतों की पहचान कर 4750 एकड़ अनुपयुक्त भूमि को आबाद करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके तहत 70 क्लस्टरों का चयन किया गया, जिसमें से 24 क्लस्टरों में चयनित सहकारी समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के आधार पर आधुनिक तकनीक का उपयोग कर सामूहिक खेती की जा रही है। जिसमें नैनीताल व पौड़ी जनपद में 4-4, अल्मोड़ा, रूदप्रयाग, हरिद्वार चमोली व देहरादून में 1-1 तथा चम्पावत जनपद में 2 सहकारी समितियां के माध्यम सें सामूहिक खेती की जा रही है। इन कलस्टरों में मिलेट्स, बेमौसमी सब्जियां, दालें, फल, औषधीय और सुगंधित पौधों की फसल, चारा फलस के साथ ही व्यावसायिक खेती की जा रही है। इसके अतिरिक्त इस योजना के तहत कृषि पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इन समितियों के माध्यम से वर्तमान में 1235 एकड़ भूमि पर सामूहिक खेती की जा रही है, जिससे लगभग 2400 किसान सीधे तौर पर लाभान्वित हो रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार