पराली को खेत में मिला देने से मृदा की उर्वरा शक्ति में होता हैं इज़ाफ़ा : मृदा वैज्ञानिक
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- Dec 12, 2025
कानपुर, 12 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के कंपनी बाग़ स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर ने फसल अवशेष योजना के तहत रसूलाबाद स्थित अमर शहीद राजा दरियाव चंद्र इंटर कॉलेज में स्कूल स्तरीय विद्यार्थी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। यह जानकारी शुक्रवार को केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने दी।
मृदा वैज्ञानिक डा.खलील खान ने बताया कि किसान फसल अवशेषों को जला देते हैं। इससे पर्यावरण दूषित होता है। साथ ही मृदा में पोषक तत्वों का नुकसान होता है। पराली को खेत में मिला देने से मृदा उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खेत के अंदर जीवांश की मात्रा कम होने के कारण खाद्यान्न फ़सलें,सब्जियों एवं फलों में स्वाद की गुणवत्ता में बहुत कमी आती है। यह फसल अवशेषों की खाद को मृदा में मिलाने से बढ़ाई जा सकती है।
डा. शशीकांत ने कहा कि पशुओं के गोबर की खाद को मिट्टी में मिलने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं क्षमता बढ़ती है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविंद कुमार सोनकर ने अवशेष प्रबंधन पर निबंध, स्लोगन व चित्रलेखन प्रतियोगिता आयोजित की। इसमें 130 से अधिक छात्र-छात्राओं ने बढ़चढ़कर प्रतिभाग किया।
उन्होंने बताया कि निबंध में चंदन सिंह, स्लोगन में सोनम तथा चित्रलेखन प्रतियोगिता में लक्ष्मी प्रथम स्थान प्राप्त किये हैं। सभी विजेता विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया है।
इस मौके पर अरुण प्रताप सिंह,आशीष भान सिंह,उमेश कुमार सिंह, अभिलाष कुमार, आकांक्षा, दीपेंद्र कुमार, सरिता पाल, अमित गुप्ता, प्रवीण कुमार मिश्रा एवं राम प्रकाश कुशवाहा सहित अन्य अध्यापक एवं विद्यालय परिवार उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद



