मुकुल रॉय का विधायक पद खारिज करने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ विधानसभा सचिवालय नहीं करेगी अपील

कोलकाता, 18 दिसंबर (हि.स.)। कृष्णनगर उत्तर के विधायक मुकुल राय के विधायक पद को रद्द करने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल विधानसभा सचिवालय अब उच्च न्यायालय में अपील नहीं करेगी। यह निर्णय कानूनी सलाह के बाद लिया गया। विधानसभा के स्पीकर बिमान बंद्योपाध्याय ने गुरुवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “चूंकि इस मामले में प्रतिपक्षी पक्ष मुकुल राय के पुत्र शुभ्रांशु राय हैं, इसलिए इस मामले में पहल उनके द्वारा ही की जाएगी। विधानसभा सचिवालय इस मामले में अब कोई कदम नहीं उठाएगा।”

कलकत्ता हाई कोर्ट की डिविजन बेंच, जिसमें न्यायाधीश देवांशु बसाक और न्यायाधीश शब्बर रशिदी शामिल थे, ने 13 नवंबर 2025 को मुकुल राय का विधायक पद रद्द करने का आदेश दिया था। भाजपा संसदीय दल का दावा है कि यह रद्दीकरण दल बदल अधिनियम के तहत किया गया है।

मुकुल राय ने 2021 के विधानसभा चुनाव में कृष्णनगर उत्तर सीट से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। दो मई को जीतने के बाद 11 जून को उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी बदली। इसके बाद विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई के लिए स्पीकर के पास आवेदन किया, लेकिन जब परिणाम नहीं मिला, तो उन्होंने मुकुल के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया। शुरू में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे हाई कोर्ट में निपटाने का निर्देश दिया।

इसके अतिरिक्त, भाजपा की कल्याणी सीट की विधायक अंबिका राय ने मुकुल के पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसयसी) अध्यक्ष पद पर बने रहने को लेकर अलग से याचिका दायर की थी। इन दोनों मामलों की सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट के डिविजन बेंच ने की और 13 नवंबर को फैसला सुनाते हुए दल बदल अधिनियम के तहत मुकुल का विधायक पद खारिज कर दिया।

विधानसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, अदालत के फैसले के बाद स्पीकर बिमान बंद्योपाध्याय ने राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त से कानूनी परामर्श लिया। लगभग एक महीने की चर्चा के बाद तय किया गया कि सचिवालय इस मामले में उच्च न्यायालय में कोई अपील नहीं करेगी। चूंकि मुकुल के पुत्र शुभ्रांशु इस मामले में पक्षकार हैं, इसलिए अपील की पहल उनके द्वारा ही की जाएगी।

ज्ञात हो कि मुकुल राय के अलावा 2021 में अन्य कई भाजपा विधायक भी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। सुमन कांजीलाल, तन्मय घोष, हरकली प्रतिहार और तापसी मंडल के भाजपा छोड़कर तृणमूल में जाने के बाद उनके खिलाफ भी दलत्याग विरोधी कानून के तहत कार्रवाई के लिए भाजपा संसदीय दल ने स्पीकर के पास आवेदन किया था, जो अभी भी लंबित है।

पूर्व रेल मंत्री मुकुल राय 2021 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद वे भाजपा छोड़कर तृणमूल में शामिल हुए, लेकिन विधानसभा के किसी भी सत्र में भाग नहीं लिया। पिछले कुछ वर्षों से वे गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं और अस्पताल में उपचाराधीन हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर