2025 में पूसीरे ने 160 से अधिक हाथियों की जान बचाई

गुवाहाटी, 25 दिसंबर (हि.स.)। नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (पूसीरे) ने हाथी–ट्रेन टक्कर की घटनाओं को रोकने और सुरक्षित एवं निर्बाध रेल परिचालन सुनिश्चित करने के लिए लगातार सक्रिय और प्रौद्योगिकी आधारित पहल की है। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने गुरुवार को कहा कि इन निरंतर प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और वर्ष 2025 के दौरान ही 160 से अधिक हाथियों की जान सुरक्षित बचाई गई है। यह उपलब्धि वन्यजीव संरक्षण के प्रति पूसीरे की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम (आईडीएस) की तैनाती है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित उन्नत तकनीक है और डिस्ट्रीब्यूटेड एकॉस्टिक सिस्टम (डीएएस) सिद्धांत पर कार्य करती है। यह प्रणाली रेलवे ट्रैक के पास हाथियों की गतिविधि का पता लगाकर लोको पायलटों और कंट्रोल रूम को तुरंत रियल-टाइम अलर्ट भेजती है, जिससे समय रहते निवारक कदम उठाए जा सकें और परिचालन सुरक्षा बढ़े।

आईडीएस को पूसीरे के उन प्रमुख रेल खंडों में सफलतापूर्वक चालू किया गया है, जो हाथी गलियारों से होकर गुजरते हैं। इनमें रंगिया मंडल के अंतर्गत 24 किलोमीटर का कामाख्या–अज़ारा–मिर्ज़ा खंड, अलीपुरद्वार मंडल का 52 किलोमीटर का मदारीहाट–नागरकाटा खंड, लामडिंग मंडल का 32 किलोमीटर का हबाईपुर–लामसाखांग–पाथरखोला–लामडिंग खंड तथा तिनसुकिया मंडल का 23 किलोमीटर का तिताबर–मरियानी–नकाचारी खंड शामिल है। इन व्यवस्थाओं के माध्यम से 62.7 किलोमीटर के हाथी गलियारों और 131 किलोमीटर के ब्लॉक सेक्शनों को कवर किया गया है, जिससे संवेदनशील वन्यजीव क्षेत्रों में सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

इस सफलता को आगे बढ़ाते हुए पूसीरे के विभिन्न मंडलों में आईडीएस की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इसमें अलीपुरद्वार में 92 किलोमीटर, कटिहार में 25 किलोमीटर, रंगिया में 174 किलोमीटर, लामडिंग में 110 किलोमीटर और तिनसुकिया मंडल में 12 किलोमीटर शामिल हैं। कार्य पूर्ण होने पर पूसीरे के अंतर्गत सभी हाथी गलियारों में यह प्रणाली लागू हो जाएगी, जो कुल 146.4 किलोमीटर के हाथी गलियारों और 413.42 किलोमीटर के ब्लॉक सेक्शन को कवर करेगी।

इसके अतिरिक्त, पूसीरे ने हाथियों और ट्रेनों के बीच टकराव को कम करने के लिए कई नवाचारी उपाय अपनाए हैं। संवेदनशील लेवल क्रॉसिंग गेटों पर ‘प्लान बी’ प्रणाली स्थापित की गई है, जिसमें मधुमक्खियों की आवाज को 400 मीटर तक सुनाई देने वाले रूप में प्रसारित किया जाता है, जिससे हाथी रेलवे ट्रैक के पास आने से बचते हैं। वन विभाग के साथ समन्वय में पूसीरे द्वारा रियल-टाइम सूचना साझा करना, हाथी गलियारों में रात के समय गति प्रतिबंध, हाथी दिखने पर अस्थायी गति नियंत्रण, रेलकर्मियों का संवेदनशीलकरण, चेतावनी संकेतक बोर्डों की स्थापना तथा दृश्यता बढ़ाने के लिए झाड़ियों की सफाई जैसे कदम भी उठाए गए हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय रेलवे ने एआई सक्षम आईडीएस प्रणाली को अपनाया है, जिसका सफल पायलट प्रोजेक्ट नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे पर किया गया था। अब इस प्रणाली का विस्तार देश के अन्य हिस्सों में किया जा रहा है, जिससे 981 अतिरिक्त रूट किलोमीटर कवर होंगे और कुल कवरेज 1,122 रूट किलोमीटर तक पहुंच जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 से अब तक पूसीरे के अंतर्गत रेलवे ट्रैक पार करते समय दो हजार से अधिक हाथियों की जानें सुरक्षित बचाई जा चुकी हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश