स्वास्थ्य विभाग के मुख्य कार्यों की हुई समीक्षा

भागलपुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। भागलपुर के समीक्षा भवन में शनिवार को जिलाधिकारी डॉक्टर नवल किशोर चौधरी के निर्देश पर उप विकास आयुक्त प्रदीप कुमार सिंह की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया गया कि भव्या पंजीकरण के माध्यम से अब ओपीडी में इलाज किया जा रहा है, जिसकी उपलब्धि 96% है। यानी चिकित्सक मरीज को पुर्जा नहीं देते हैं बल्कि भव्या ऐप पर ऑनलाइन एंट्री करते हुए उसका पुर्जा बनाते हैं। जिस पर मरीज का ब्यौरा एवं दिए गए दवा का विवरण रहता है। मरीज को एक टोकन दिया जाता है जिसे दवा वितरण काउंटर पर ले जाने पर उसे टोकन से पुर्जे को देखकर दवा दिया जाता है।

उप विकास आयुक्त ने निर्देशित किया कि अस्पताल में मरीज को ज्यादा समय प्रतीक्षा न करना पड़े और ना ही उसे ज्यादा इधर-उधर चलना पड़े इसलिए भव्या एप का शत प्रतिशत उपयोग किया जाए। मरीज को कितनी दवा दी जा रही है। इसकी भी प्रविष्टि की जाए। निजी दवा दुकान में सरकारी दवा पाए जाने पर इसकी जांच कराई जाएगी और संबंधित के विरुद्ध गंभीर कार्रवाई की जाएगी। जिन पीएचसी के भव्या में पंजीकरण कम पाए गए और मरीज को लिखित पुर्जा दिया गया है, वहां चिकित्सक और पदाधिकारी की टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। जिसमें रंगरा चौक, जगदीशपुर और गोपालपुर पी एच सी शामिल हैं। एमसीडी स्क्रीनिंग में जगदीशपुर, रंगरा चौक और गोराडीह की उपलब्धि कम रही है।

एसएनसीयू की समीक्षा में पाया गया कि नवंबर माह में घर पर जन्मे 27 एवं अस्पताल में जन्मे 37 कुल 64 बच्चे एसएनसीयू में लाए गए। उप विकास आयुक्त ने पाया कि निजी एसएनसीयू में शत प्रतिशत बच्चे भर्ती होते हैं। जबकि सरकारी एसएनसीयू के बेड खाली रह जाता है। इस पर उन्होंने शून्य रेफर करने वाले पीएचसी की समीक्षा की और उन्हें इसे गंभीरता से लेते हुए कुपोषित बच्चों को एसएनसीयू में रेफर करने के निर्देश दिए गए। एमडीआर (मातृत्व मृत्यु दर) की समीक्षा में जहां मातृत्व मृत्यु दर अधिक पाया गया। वहां प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को इसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत हाई रिस्क प्रेगनेंसी रिपोर्टिंग जहां से जीरो पाया गया है। उनकी जांच करने का आदेश दिया गया है।

बैठक के अंत में उप विकास आयुक्त ने कहा कि सभी अस्पतालों में चिकित्सक और दवा उपलब्ध रहे। मरीज को किसी प्रकार की परेशानी ना हो, अस्पताल में जो भी संसाधन उपलब्ध है उनका बेहतर उपयोग हो। किसी भी मरीज का दोहन ना हो, मरीज के समय की बर्बादी ना हो, आधे घंटे के अंदर मरीज का इलाज हो जाए और उसे दवा मिल जाए। इसी उद्देश्य को लेकर कार्य करना है।

हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर