कर्तव्य पथ पर गूंजेगी हिमाचल की वीरता, पांच साल बाद गणतंत्र दिवस परेड में चुनी गई राज्य की झांकी

शिमला, 31 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 26 जनवरी 2026 को जब गणतंत्र दिवस परेड की झलक दुनिया देखेगी, तब उसमें हिमाचल प्रदेश की वीरता, बलिदान और देशभक्ति भी पूरे गौरव के साथ नजर आएगी। पांच साल के लंबे इंतजार के बाद रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने हिमाचल प्रदेश की झांकी को मुख्य गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मंजूरी दे दी है। यह झांकी उन वीर जवानों को समर्पित होगी जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए। पांच साल बाद गणतंत्र दिवस समारोह में हिमाचल की झांकी देखने को मिलेगी।

राज्य के भाषा एवं संस्कृति विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार हिमाचल की झांकी की थीम “गैलेंटरी अवॉर्डीज ऑफ हिमाचल प्रदेश” रखी गई है। झांकी के जरिए परमवीर चक्र, महावीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित हिमाचल के वीर सपूतों के शौर्य और बलिदान को देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। संदेश साफ है कि पहाड़ी राज्य होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश ने हर दौर में देश की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है।

रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद राज्य के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने झांकी के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। चयनित एजेंसी झांकी के डिजाइन, कलात्मक स्वरूप और तकनीकी मानकों के अनुसार निर्माण कार्य करेगी। झांकी में पारंपरिक रंग, सैन्य गौरव और आधुनिक प्रस्तुति का संतुलन देखने को मिलेगा।

झांकी के साथ हिमाचल की लोक-संस्कृति की झलक भी दिखाई देगी। कर्तव्य पथ पर “मेरा हिमाचलो बड़ा बांका” गीत की धुन गूंजेगी और पारंपरिक ढोल की थाप झांकी को और जीवंत बनाएगी। यह संगीत हिमाचल के स्वाभिमान, वीरता और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाएगा।

हिमाचल प्रदेश की झांकी इससे पहले आखिरी बार वर्ष 2020 में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई थी, जब कुल्लू दशहरा की थीम पर राज्य का प्रतिनिधित्व किया गया था। उसके बाद लगातार कई वर्षों तक अलग-अलग विषयों पर प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिल पाई। कभी अटल टनल रोहतांग, कभी क्षेत्रीय संस्कृति और कभी अन्य विषय अंतिम चरण में चयन से बाहर रह गए। ऐसे में 2026 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए हिमाचल की झांकी का चयन राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल का सेना से गहरा नाता रहा है। यहां के गांवों और कस्बों से बड़ी संख्या में युवा सेना में भर्ती होते हैं और कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने साहस का परिचय देते हैं। झांकी में इसी परंपरा और जज्बे को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया जाएगा। इसमें हिमाचल के वीर जवानों की तस्वीरें, सैन्य सम्मान के प्रतीक और कलात्मक प्रस्तुति के माध्यम से उनके योगदान को सामने लाया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा