व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए राजस्व गांवों को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द
- Admin Admin
- Dec 23, 2025
जयपुर, 23 दिसंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने बाड़मेर जिले के दो राजस्व गांवों के नाम भूमि दान करने वालों के नाम पर रखने वाली अधिसूचना को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह अधिसूचना राज्य सरकार के 20 अगस्त, 2009 के परिपत्र के खिलाफ है। यह परिपत्र किसी व्यक्ति, जाति, धर्म या समुदाय के नाम पर राजस्व गांव के नामकरण पर रोक लगाती है। जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की खंडपीठ ने यह आदेश भीखा राम की याचिका पर दिए।
मामले के अनुसार राज्य सरकार ने 31 दिसंबर, 2020 को एक अधिसूचना जारी कर कई राजस्व गांव बनाए थे। इसमें बाड़मेर जिले के सोहदा गांव की मेघवालों की ढाणी से अलग किए अमरगढ़ और सगतसर गांव भी शामिल थे। अधिसूचना से पहले तहसीलदार ने प्रमाणित किया था कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और प्रस्तावित गांव किसी व्यक्ति, धर्म या जाति आदि से जुडे नहीं है। वहीं बाद में सीमांकन के दौरान कुछ ग्रामीणों ने यह आपत्ति दर्ज कराई कि अमरगढ़ और सगतसर नाम भूमि दान करने वाले अमरराम और सगत सिंह के नाम पर लिए गए हैं। इसके बाद 2020 की अधिसूचना को हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने माना की दोनों गांवों के नामांकरण में साल 2009 के परिपत्र की अवहेलना की गई है। इसके साथ ही एकलपीठ ने अधिसूचना को रद्द कर दिया। इसके खिलाफ पेश अपील पर खंडपीठ ने एकलपीठ का आदेश रद्द कर दिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश की गई। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को रद्द कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक



