दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में हुआ सुधार : भूपेन्द्र यादव

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (हि.स.)। केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने गुरुवार को राज्य सभा में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है। अच्छे दिनों की संख्या 2016 के 110 दिनों से बढ़कर 2025 में 200 दिन हो गई है। इस वर्ष, जनवरी-नवंबर की अवधि के लिए दिल्ली का औसत एक्यूआई 2018 के 213 के मुकाबले 187 दर्ज किया गया है। वर्ष 2025 के दौरान दिल्ली में एक भी दिन एक्यूआई अधिक गंभीर यानि 450 स्तर तक नहीं पहुंचा।

राज्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि कृषि, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, सड़क परिवहन और राज्य सरकारों जैसे हितधारकों के साथ वायु प्रदूषण से निपटने पर केंद्रित छह समीक्षा बैठकें हुई। इसके साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की स्थापना की है।

कार्यान्वयन एजेंसियों का मार्गदर्शन करने के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया है।

सीएक्यूएम द्वारा प्रदूषणकारी गतिविधियों के लिए काफी कड़े उत्सर्जन मानदंड बनाए हैं।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) तैयार किया गया है, जो वायु प्रदूषण के स्तर की गंभीरता के आधार पर आपातकालीन प्रतिक्रिया कार्य और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए चिन्हित एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।

उन्होंने कहा सीपीसीबी की निगरानी में दिल्ली-एनसीआर के 3,551 उद्योगों में से 1297 ने ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली स्थापित कर ली है।

एनसीआर में वायु प्रदूषण की उच्च संभावना वाली शेष 2254 औद्योगिक इकाइयों में 31 दिसंबर, 2025 तक निगरानी प्रणाली स्थापित करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए घरेलू निर्माताओं को प्रमाणित करने हेतु सीएसआईआर राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को अधिकृत किया है। 240 में से 224 क्षेत्रों में पीएनजी आपूर्ति का बुनियादी ढांचा स्थापित किया गया है। शेष क्षेत्रों में पीएनजी बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

भूपेन्द्र यादव ने कहा कि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के लिए वित्तीय सहायता की एक योजना चला रहा है।

इस योजना के अंतर्गत, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को 4,090.84 करोड़ रुपये जारी किए गए और 3.45 लाख फसल अवशेष मशीनें और 43,270 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) प्रदान किए गए।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक योजना के माध्यम से एनसीआर राज्यों में धान की पराली आधारित पेलेटाइजेशन और टोरीफिकेशन इकाइयों की स्थापना के लिए 25 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, ताकि सालाना 4.83 लाख टन धान की पराली का उपयोग किया जा सके। अब तक, 18 संयंत्र (पंजाब में 16 और हरियाणा में 2) 3.17 लाख टन क्षमता उपयोग के साथ चालू हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के 300 किलोमीटर के भीतर स्थित ताप विद्युत संयंत्रों और एनसीआर में स्थित औद्योगिक इकाइयों के कैप्टिव पावर प्लांटों में 5-10 प्रतिशत बायोमास आधारित पेलेट, टोरीफाइड पेलेट/ब्रिकेट की को-फायरिंग के लिए अनिवार्य किया है।

सीएक्यूएम और ज़िला कलेक्टरों ने ताप विद्युत संयंत्रों और ईंट भट्टों जैसे उद्योगों में बायोमास के भंडारण के लिए पर्याप्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक अभियान चलाए हैं। समन्वित प्रयासों से, पंजाब और हरियाणा राज्यों ने सामूहिक रूप से वर्ष 2022 (53,583) की इसी अवधि की तुलना में वर्ष 2025 (5,776) में धान की कटाई के मौसम के दौरान आग लगने की घटनाओं में लगभग 90 प्रतिशत की कमी दर्ज की है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी