कांग्रेस ने भारत की संस्कृति, सोच और मूल्यों से किया समझौताः नड्डा

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (हि.स.)। राज्य सभा में गुरुवार को वंदे मातरम पर चर्चा का जवाब देते हुए सदन के नेता जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर वंदे मातरम गीत की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, शुरू से ही कांग्रेस ने भारत की संस्कृति, सोच और मूल्यों से समझौता किया।

संसद में ‘वंदे मातरम्’ पर हुई चर्चा के समापन वक्तव्य में जेपी नड्डा ने कहा यह चर्चा दर्शाती है कि वंदे मातरम कितना प्रासंगिक और हमारे दिलों के कितना करीब है। यह बहस उन युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम की एक झलक देती है जिन्होंने उन दिनों को अपनी आँखों से नहीं देखा है। यह गीत कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है और इसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान की। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम से उत्पन्न भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है। यह हमें प्रेरित करता है और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति हमारे अंदर जोश भर देता है। जब अंग्रेजों ने हमारे स्कूलों में अपना राष्ट्रगान 'गॉड सेव द क्वीन' थोपना चाहा, तब बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने हमें वंदे मातरम गीत दिया, जिसका असर पूरे देश में हुआ।

नड्डा ने कहा कि वंदे मातरम् को वह सम्मान और स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था और उस समय के नेता इसके लिए जिम्मेदार थे।

नड्डा ने नेहरू द्वारा 1937 में लिखे गए एक पत्र का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि गीत में कठिन शब्द हैं और यह आधुनिक राष्ट्रवाद के अनुरूप नहीं है। वह उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। नेहरू के नेतृत्व में साम्प्रदायिक तत्वों के दबाव में उन्होंने इस पवित्र गीत को बदला और उन अंतरों को हटा दिया जिनमें भारत माता को माँ दुर्गा के रूप में स्वतंत्रता के अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए चित्रित किया गया था।

26 अक्टूबर से 1 नवंबर 1937 तक की कांग्रेस कार्यसमिति की रिपोर्टों का हवाला देते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि उस समय में प्रस्ताव में कहा गया था कि अन्य अंतरे कम जाने जाते हैं और शायद ही कभी गाए जाते हैं; उनमें ऐसे संकेत और धार्मिक विचारधाराएँ हैं जो भारत के अन्य धार्मिक समूहों की विचारधाराओं के अनुरूप नहीं हो सकतीं। समिति ने अपने मुस्लिम मित्रों की आपत्तियों को स्वीकार किया और निर्णय लिया कि जब भी यह गीत गाया जाए, केवल पहले दो अंतरे ही गाए जाएँ, वे पढ़ते हैं।

सदन के नेता जे.पी. नड्डा ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि चर्चा तभी सार्थक होगी जब वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय ध्वज के समान सम्मान दिया जाएगा। राष्ट्रीय गीत का दर्जा समान है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी