शौर्य-रणनीति के प्रतीक हैं जनरल ज़ोरावर सिंह: आचार्य ललित कुमार

मंडी, 12 दिसंबर (हि.स.)। सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी के इतिहास विभाग द्वारा अमृत महोत्सव सभागार, स्वामी विवेकानंद भवन में जनरल ज़ोरावर सिंह की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका विषय जनरल ज़ोरावर सिंह : सैन्य नेतृत्व, रणनीति और भारतीय सीमाओं की रक्षा में उनका योगदान रहा। इस अवसर पर अर्ध सहस्राब्दी : मंडी का इतिहास, विरासत एवं गौरव के उपलक्ष्य में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय कुलगुरु आचार्य डॉ. ललित कुमार अवस्थी मुख्यातिथि रहे। जबकि अध्यक्षता आचार्य डॉ. राजेश कुमार शर्मा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने की।

इस कार्यक्रम का आरम्भ पर कुलगुरु आचार्य (डॉ.) ललित कुमार अवस्थी ने जनरल ज़ोरावर सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुआ। कार्यक्रम संयोजक एवं इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि जनरल ज़ोरावर सिंह केवल डोगरा सैन्य इतिहास के दिग्गज योद्धा ही नहीं थे बल्कि भारत की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा में उनका योगदान रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मुख्य अतिथि कुलगुरु आचार्य डॉ. ललित कुमार अवस्थी ने अपने संबोधन में जनरल ज़ोरावर सिंह को शौर्य, रणनीति, अनुशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा का अप्रतिम प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि हिमालय की दुर्गम चोटियों पर किए गए उनके अभियान भारतीय सैन्य इतिहास की अनूठी उपलब्धियां हैं, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। कुलपति ने यह भी कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों में सैन्य परंपरा के प्रति सम्मान और राष्ट्रीय गौरव की भावना को सुदृढ़ करते हैं। उन्होंने इतिहास विभाग के इस प्रयास को सराहते हुए कहा कि मंडी की अर्ध सहस्राब्दी परंपरा को अकादमिक स्तर पर पुनर्जीवित करने में विभाग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह विश्वविद्यालय एवं समाज दोनों के लिए बौद्धिक दिशा प्रदान करेगी।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ब्रिगेडियर डॉ. विजय सागर धीमान जम्मू ने आभासी माध्यम से अपना प्रभावशाली व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने जनरल ज़ोरावर सिंह के लद्दाख, बाल्तिस्तान और तिब्बत अभियानों, दुर्गम हिमालयी संरचनाओं में उनके नेतृत्व कौशल तथा सामरिक दृष्टि का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि ज़ोरावर सिंह के अभियानों ने न केवल डोगरा राजवंश की सामरिक स्थिति को मजबूत किया बल्कि भारत की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा को भी एक नई परिभाषा प्रदान की।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा