सरस राजसखी राष्ट्रीय मेले में रोज सज रही भारत की लोक कलाओं की अनुपम झलक

जयपुर, 27 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद द्वारा जवाहर कला केंद्र जयपुर में आयोजित सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला 2025 का प्रत्येक दिन भारतीय संस्कृति के विविध रंगों से सराबोर नजर आ रहा है। चार जनवरी तक चलने वाले इस भव्य आयोजन में प्रतिदिन देश के किसी न किसी कोने की लोक कला, नृत्य और संगीत को मंच मिल रहा है, जिसे देखने और अनुभव करने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक उमड़ रहे हैं। सांस्कृतिक संध्याओं के माध्यम से यह मेला न केवल मनोरंजन का केंद्र बना हुआ है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से साक्षात्कार का सशक्त माध्यम भी बन रहा है।

मेले के पहले दिन ही सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत राजस्थान के लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत चरी, घूमर और कालबेलिया नृत्यों से हुई, जिसने पूरे परिसर को लोक रंगों से भर दिया। ताल, लय और भाव-भंगिमाओं के प्रभावशाली संयोजन ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

लोक कलाकारों द्वारा शहनाई और नगाड़ा वादन ने भी खूब सराहना बटोरी। भरतपुर के ग्रुप द्वारा प्रस्तुत मयूर नृत्य तथा उत्तर प्रदेश के ग्रुप द्वारा प्रस्तुत फूलों की होली ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। इन रंगीन और भावपूर्ण प्रस्तुतियों पर पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

असम से आए कलाकारों ने बिहू, बैशाली, कार्बी, धमाही और शास्त्रीय सत्रिया नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियों के माध्यम से वहां की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध परंपराओं से रूबरू कराया।

वहीं मेले के मंच पर पंजाब की पारंपरिक लोक कलाओं की प्रस्तुति भी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। गिद्दा और भांगड़ा जैसे ऊर्जावान नृत्य रूपों ने दर्शकों में उत्साह भर दिया और पूरे परिसर को जोश और उमंग से भर दिया। विशेष रूप से मिजोरम के पारंपरिक चैरो नृत्य की प्रस्तुति दर्शकों के लिए एक अनूठा और यादगार अनुभव साबित हुई। बाँस की डंडियों के बीच तालबद्ध ढंग से थिरकते कलाकारों ने मिजोरम की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

महाराष्ट्र की पारंपरिक लावणी एवं गोंडल नृत्य की मोहक प्रस्तुति ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके साथ ही आयोजित भव्य फैशन शो मेले का प्रमुख आकर्षण रहा, जिसमें शो स्टॉपर के रूप में अभिनेत्री डेज़ी शाह उपस्थित रहीं। फैशन शो की खास बात यह रही कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भी पूरे आत्मविश्वास के साथ रैम्प वॉक कर दर्शकों का दिल जीत लिया।

सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला 2025 में प्रतिदिन बदलते सांस्कृतिक रंग इस बात का प्रमाण हैं कि यह मेला न केवल एक आयोजन है, बल्कि भारत की विविध और जीवंत सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव है, जिसे लोग पूरे उत्साह और सराहना के साथ अनुभव कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश