असम शंकर–माधव की धरती है, शंकर–आज़ान की नहीं : मुख्यमंत्री

गुवाहाटी, 27 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी ने 2026 के विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया है। गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र स्थित अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षागृह में आयोजित भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने एक तीखा और विस्फोटक भाषण देते हुए असम की सांस्कृतिक पहचान, जनसांख्यिकीय बदलाव और आगामी चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति स्पष्ट की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि असम शंकर–माधव की भूमि है, यहां शंकर–अज़ान जैसी कोई अवधारणा नहीं रही। उन्होंने सवाल उठाया कि “शंकर–अज़ान” शब्द असम में कहां से आया। उन्होंने बाघ हजारिका को भी एक काल्पनिक चरित्र बताते हुए कहा कि असम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को विकृत करने की कोशिश की जा रही है।

डॉ. सरमा ने दावा किया कि 2027 की जनगणना रिपोर्ट में असम में बांग्लादेशी मूल के मियां मुसलमानों की संख्या 40 प्रतिशत के आसपास पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि ‘चिकन नेक’ क्षेत्र में बांग्लादेश से आए लोग बस चुके हैं और यदि कभी युद्ध की स्थिति बनी तो यह गंभीर प्रश्न होगा कि वे किस पक्ष में खड़े होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में भाजपा का हर चुनाव सभ्यता की लड़ाई है और अस्तित्व की लड़ाई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मंत्री या विधायक कौन बनेगा, यह मुद्दा अर्थहीन है, असली मुद्दा स्वदेश और स्वजाति की रक्षा है।

उन्होंने कहा कि धुबड़ी, दलगांव, नाओबैचा जैसे क्षेत्रों से असमिया समाज धीरे-धीरे पीछे हट रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ‘सादुल्ला से छीनी गई कुर्सी फिर सादुल्ला को लौटा दी गई’, जो असम के लिए गंभीर चेतावनी है।

अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वदेश और स्वजाति के कल्याण के लिए भाजपा को हर हाल में जीतना होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर 2026 के चुनाव में निर्णायक विजय सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि वामपंथ हमारे देश को कमजोर करने की लगातार साजिश में लगा हुआ है। नेपाल में क्रांति के बारे में बात करें, लेकिन नेपाल क्रांति के बाद जो हुआ उसका लाइव टेलीकास्ट भी दिखाएं। वह क्रांति कोई क्रांति नहीं है जो लोगों के कल्याण से समाप्त नहीं होती है।

मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने कहा कि दुनिया में एक भी राज्य ऐसा नहीं है जहां उसकी मूल आबादी 60 से कम हो गई हो और हमने बांग्लादेशी मूल के लोगों की संख्या 40 को पार करते हुए तेजी से बढ़ते हुए देखा है। इसलिए जनसांख्यिकीय परिवर्तन हमारे लिए मुख्य चुनौती है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश