जंगल काटे उनका आश्रय उजाड़ा किंतु कातिल बेकसूर तेंदुए ही -डॉ प्रशांत
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- Dec 23, 2025

मुंबई,23 दिसंबर ( हि.स.) । पूरे महाराष्ट्र में बढ़ते इंसान-तेंदुए के टकराव के बीच, एनवायरनमेंटलिस्ट डॉ. प्रशांत रवींद्र सिनकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक भावनात्मक बयान दिया है, जिसमें राज्य की वाइल्डलाइफ पॉलिसी पर बुनियादी और परेशान करने वाले सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने सरकार के सामने यह गंभीर सच्चाई रखी है कि जंगल की बर्बादी, बेकाबू शहरीकरण और बिना प्लान के इंसानी दखल की वजह से पूरे राज्य में यह टकराव बढ़ रहा है।
डॉ. सिनकर ने बयान में सीधे तौर पर पूछा है, “जब कोई तेंदुआ इंसानी बस्ती में घुसता है, तो हम उसे खतरा मानते हैं; लेकिन जब कोई इंसान लगातार जंगल में घुसता है, तो यह डेवलपमेंट कैसे हो जाता है?” उन्होंने पूछा, “समाज और सरकार यह मानने को तैयार क्यों नहीं है कि हम उसके घर में घुस गए हैं?”
उन्होंने सीएम को लिखे हुए पत्र में सवाल उठाया है कि महाराष्ट्र के कई जंगल के इलाके अब प्रोजेक्ट्स, अतिक्रमण, सड़कों, रेलवे, लाइट पॉल्यूशन, नॉइज़ पॉल्यूशन और कचरे की चपेट में हैं। डॉ. सिनकर साफ़ शब्दों में कहते हैं, “हमने जंगल को नक्शे से मिटा दिया है और जंगल से भागे तेंदुए को दोषी ठहराया है।” “किसी बच्चे को घायल होते देखना, किसी माँ को रोते हुए देखना किसी को भी परेशान कर सकता है। लेकिन समाज को भूख, डर और कन्फ्यूजन की वजह से दिशाहीन तेंदुए की आँखों को देखकर भी सेंसिटिविटी दिखानी चाहिए।”
उनका पक्का मानना था कि तेंदुए को पकड़कर पिंजरे में डालना या जंगल से बाहर ले जाना कोई सॉल्यूशन या विकल्प नहीं है, बल्कि हमारे फॉरेस्ट मैनेजमेंट की नाकामी को मानना है। उन्होंने समझाया, “अगर आप एक तेंदुआ हटाएंगे, तो दूसरा आ जाएगा, क्योंकि जंगल खत्म होने की बेसिक प्रॉब्लम अभी भी बनी हुई है।”
अपने बयान में, डॉ. सिनकर ने सरकार से कुछ ठोस और ज़रूरी माँगें की हैं।
उन्होंने जंगल के इलाकों की सीमाओं पर ज़रूरी प्लान्ड सेटलमेंट और वेस्ट मैनेजमेंट,वाइल्डलाइफ़ के लिए बायोलॉजिकल कॉरिडोर बनाने,और डर के बजाय को-एग्जिस्टेंस पर आधारित अवेयरनेस प्रोग्राम को असरदार तरीके से लागू करने की माँग की है।
पर्प्रयावरणविद डॉ प्रशांत का मानना है कि “आज हम तेंदुए को दोषी ठहराते हैं। क्या होगा अगर कल शहर में कोई टाइगर आ जाए? उसके अगले दिन हाथी?” उन्होंने मौजूदा डेवलपमेंट मॉडल पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
“तेंदुआ एक आईना है। यह दिखाता है कि हमने प्रकृति के साथ क्या किया है।
तेंदुआ कोई अपराधी नहीं है। यह हमारे गलत विकास का नतीजा है।
अगर हम जंगल नहीं बचाएंगे, तो संघर्ष कभी नहीं थमेगा।”
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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा



