सिकंदर कुमार ने हिमाचल के मध्यपर्वतीय इलाकों में उद्योग स्थापित करने की उठाई मांग

शिमला, 11 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा सांसद और भाजपा के प्रदेश महामंत्री डाॅ. सिकंदर कुमार ने केन्द्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी से मुलाकात कर हिमाचल के मध्य और ऊपरी क्षेत्रों में लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिमाचल में केवल सोलन, ऊना और सिरमौर जिलों में औद्योगिक इकाइयां हैं। यदि मध्य और ऊपरी हिमाचल में भी उद्योग स्थापित किए जाएँ तो प्रदेश के युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। केन्द्रीय मंत्री ने डाॅ. सिकंदर की मांग पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया।

इससे पहले डाॅ. सिकंदर कुमार ने गुरूवार को संसद के शीतकालीन सत्र में लाहौल-स्पिति के संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ प्रबंधन को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या मंत्रालय ने अतिरिक्त जल निकासी के लिए कोई प्रणाली विकसित की है और क्या स्थानीय समुदायों को बाढ़ प्रबंधन में शामिल करने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने विशेषकर हिमनद झील के फटने से उत्पन्न आकस्मिक बाढ़ जोखिमों पर उपायों के बारे में जानकारी मांगी।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि जल निकासी उपाय अत्यधिक साइट-विशिष्ट होते हैं और इन्हें संबंधित राज्य सरकारें लागू करती हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) जहां संभव हो, राज्य सरकारों को जोखिम मूल्यांकन, विशेषज्ञ सिफारिश और तकनीकी सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा एनडीएमए ने संरचनात्मक शमन, जलग्रहण प्रबंधन और ढलान स्थिरीकरण के लिए राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश, प्रशिक्षण और सलाह भी दी है।

राज्य मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार ने 150 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हिमनद झील विस्फोट बाढ़ जोखिम शमन परियोजना की मंजूरी दी है। यह परियोजना चार राज्यों अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में लागू की जाएगी, जिसका उद्देश्य लाहौल-स्पिति सहित आपदा प्रवण क्षेत्रों में हिमनद झील विस्फोट बाढ़ से जुड़े जोखिमों को कम करना है।

उन्होंने यह भी कहा कि अक्टूबर 2020 में एनडीएमए ने हिमनद झील विस्फोट बाढ़ के प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर लेक आउफ्लो फ्लड और भूस्खलन झील विस्फोट बाढ़ से निपटने के मानक संचालन प्रक्रिया शामिल हैं। इसी के तहत जुलाई 2025 में हिमनद झील के फटने से बांधों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने हेतु सीडब्ल्यूसी ने भी संरचनात्मक उपायों के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा