(वार्ष‍िकी) अंतरिक्ष से विकास तक स्पेस टेक पॉलिसी 2025 ने मध्य प्रदेश को दी नई पहचान

भोपाल, 31 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 में मध्य प्रदेश ने विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम उठाते हुए खुद को भविष्य की तकनीक से जोड़ दिया है। राज्य सरकार द्वारा ड्राफ्ट के रूप में प्रस्तुत की गई “स्पेस टेक पॉलिसी 2025” आज एक नीति दस्तावेज से कहीं अधिक मध्य प्रदेश के तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक विकास का नया रोडमैप बनकर उभर रही है। इस नीति ने राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने के साथ-साथ यह संदेश भी दिया है कि मध्य प्रदेश अब परंपरागत विकास मॉडल से आगे बढ़कर नवाचार, विज्ञान और आधुनिक तकनीक को अपने विकास का आधार बना रहा है।

राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि स्पेस टेक्नोलॉजी रॉकेट लॉन्च या सैटेलाइट तक सीमित नहीं रहेगी, इसका सीधा लाभ किसान, आम नागरिक, शहरों की व्यवस्थाओं और उद्योग जगत तक पहुंचेगा। इसी सोच के तहत “स्पेस टेक पॉलिसी 2025” में कृषि, जल प्रबंधन, आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन इन चार प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है।

कृषि में तकनीकी क्रांति

कृषि क्षेत्र में यह नीति एक नई क्रांति की शुरुआत मानी जा रही है। सैटेलाइट और रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से फसलों की रियल-टाइम निगरानी, मिट्टी की गुणवत्ता का विश्लेषण, फसल रोगों की पहचान और नमी स्तर की सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इससे किसान अनुमान के बजाय वैज्ञानिक आंकड़ों के आधार पर निर्णय ले सकेंगे। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उत्पादन लागत घटेगी, उपज बढ़ेगी और किसानों की आय में उल्लेखनीय सुधार होगा। साथ ही, पानी और उर्वरकों के संतुलित उपयोग से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

जल प्रबंधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण

“स्पेस टेक पॉलिसी 2025” जल प्रबंधन के क्षेत्र में भी एक दूरदर्शी पहल साबित हो रही है। सैटेलाइट डेटा के माध्यम से वर्षा पैटर्न का विश्लेषण, बाढ़ और सूखे की पूर्व चेतावनी तथा भूजल स्तर की निगरानी संभव हो सकेगी। इससे जल संकट वाले क्षेत्रों की समय रहते पहचान की जा सकेगी और जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। अधिकारियों के अनुसार अब जल योजनाएं अनुभव या अनुमान पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों और डेटा पर आधारित होंगी, जिससे भविष्य की जल चुनौतियों से अधिक प्रभावी ढंग से निपटा जा सकेगा।

आपदा प्रबंधन में सुरक्षा कवच

प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरे को देखते हुए “स्पेस टेक पॉलिसी 2025” को राज्य के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच माना जा रहा है। भारी बारिश, बाढ़, चक्रवात या अन्य प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना मिलने से प्रशासन को तैयारी का पर्याप्त समय मिलेगा। इससे राहत और बचाव कार्यों में तेजी आएगी और जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का कहना है कि सैटेलाइट आधारित चेतावनी प्रणाली प्रशासन की प्रतिक्रिया क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी।

शहरी विकास को मिलेगी नई दिशा

तेजी से बढ़ते शहरीकरण के बीच सरकार ने अर्बन प्लानिंग में भी स्पेस टेक्नोलॉजी को शामिल किया है। सैटेलाइट मैपिंग और जियो-स्पेशियल डेटा की मदद से ट्रैफिक मैनेजमेंट, भूमि उपयोग, अवैध निर्माण की पहचान और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की बेहतर योजना बनाई जा सकेगी। इससे शहरों का विकास अधिक सुव्यवस्थित, संतुलित और टिकाऊ होगा। नगरीय विकास विभाग का मानना है कि यह पहल स्मार्ट सिटी की अवधारणा को जमीन पर उतारने में अहम भूमिका निभाएगी।

स्टार्टअप और निवेश को बढ़ावा

“स्पेस टेक पॉलिसी 2025” की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि इससे स्टार्टअप और निवेश को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने स्पेस टेक्नोलॉजी आधारित नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपये के वेंचर फंड का प्रावधान किया है। इसके तहत स्टार्टअप्स को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी) डेवलपमेंट के लिए ग्रांट, लाइसेंसिंग शुल्क में रिइंबर्समेंट और पेटेंट के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। इससे प्रदेश के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और मध्य प्रदेश स्पेस टेक स्टार्टअप्स के लिए एक आकर्षक हब बन सकेगा।

उज्जैन में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और उद्योग विस्तार

उज्जैन में प्रस्तावित “स्पेस टेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” को भी वर्ष 2025 की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। आईआईटी इंदौर और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के सहयोग से यह केंद्र स्पेस साइंस, एस्ट्रोफिजिक्स और उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही पीपीपी मॉडल पर स्पेस मैन्युफैक्चरिंग पार्क और कंपोनेंट हब की स्थापना से निवेश और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। निवेशकों को एक रुपये प्रति स्क्वायर फीट की दर पर जमीन, स्टांप ड्यूटी में छूट और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सुविधाएं देना यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

अत: इस संबंध में कहना यही होगा कि “स्पेस टेक पॉलिसी 2025” ने मध्य प्रदेश को विकास की एक नई कक्षा में पहुंचा दिया है। यह नीति तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम होने के साथ-साथ यह भी साबित करती है कि राज्य सरकार भविष्य की जरूरतों को समझते हुए आज ठोस और दूरगामी फैसले ले रही है। वर्ष 2025 में यह पहल निश्चित रूप से मध्य प्रदेश के विकास इतिहास में एक प्रेरणादायक और ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज की जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी